राज्य सचिवालय में होगा UCC पोर्टल का अनावरण
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस ऐतिहासिक कार्यक्रम का नेतृत्व करेंगे. कार्यक्रम के दौरान UCC पोर्टल का अनावरण भी किया जाएगा, जो इस कानून के क्रियान्वयन में एक प्रमुख भूमिका निभाएगा. मुख्यमंत्री धामी ने इस निर्णय को सामाजिक समरसता के लिए एक बड़ा कदम बताया. उनके अनुसार, UCC एक ऐसा कानून है जो धर्म, लिंग, जाति या समुदाय के आधार पर भेदभाव को समाप्त करेगा और समाज को एक समान आधार पर जोड़ने का काम करेगा.
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यूसीसी लागू करने की तैयारियां पूरी
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उनकी सरकार ने UCC को लागू करने के लिए पूरी तैयारी कर ली है. उन्होंने कहा, “हमने 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले राज्य की जनता से UCC लाने का वादा किया था. सरकार बनने के बाद इसे प्राथमिकता दी गई. इस पर मसौदा तैयार किया गया, अधिनियम पास किया गया, और अब हम इसे औपचारिक रूप से लागू कर रहे हैं. यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सामंजस्यपूर्ण भारत’ के दृष्टिकोण को साकार करेगा, जिसमें सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलेंगे और किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होगा.”
गोवा के बाद उत्तराखंड बनेगा पहला राज्य
भले ही गोवा में पहले से ही UCC लागू है, लेकिन वहां इसे पुर्तगाली सिविल कोड के तहत लागू किया गया था. उत्तराखंड आजादी के बाद समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य होगा. मुख्यमंत्री ने इसे राज्य के लिए गर्व और समाज के लिए एक नई दिशा बताया.
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क्या है समान नागरिक संहिता (UCC)?
UCC का मतलब है कि राज्य में सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, गोद लेने, संपत्ति के बंटवारे और अन्य सिविल मामलों के लिए एक समान कानून लागू होगा. इसका उद्देश्य विभिन्न धर्मों और समुदायों के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ की जगह एक समान प्रणाली स्थापित करना है. इसके तहत शादी और लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले कपल्स को भी रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा.
एक नई शुरुआत का प्रतीक
UCC लागू करने का उत्तराखंड सरकार का निर्णय, राज्य के विकास और सामाजिक समानता की दिशा में एक बड़ा कदम है. यह न केवल राज्य के नागरिकों को समान अधिकार देगा, बल्कि भारत में एक समान और समरस समाज की नींव भी मजबूत करेगा.
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