अंशुमन भगत का उद्धरण “खुद को इस तरह बनाओ कि भीड़ में भी तुम अलग पहचाने जाओ.” कई देशों में आत्मनिर्भरता और सफलता का प्रतीक बन गया है. ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम, नीदरलैंड, इंडोनेशिया, न्यूयॉर्क, वॉशिंगटन और फिलीपींस जैसे देशों में उनके इस विचार को विभिन्न संस्थानों और संगठनों ने अपनाया है. बेटी जीन ब्राउन फाउंडेशन (न्यूयॉर्क) और मैक्सस्कॉलर (मियामी, फ्लोरिडा) जैसी प्रतिष्ठित संस्थाएं भी इसे अपने प्रेरणात्मक अभियानों में शामिल कर चुकी हैं.
इसके अलावा, भगत की आध्यात्मिक सोच भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हो चुकी है. उनकी लिखी “द वर्ल्ड मोस्ट पावरफुल वर्ड इज “हरे कृष्णा” वाली पंक्ति को लंदन, भारत और अन्य देशों में कृष्ण जन्माष्टमी के दौरान विशेष रूप से उद्धृत किया जाता है. आध्यात्मिक योग प्रशिक्षक, केएनसीएच अस्पताल और कई धार्मिक संस्थानों में उनके विचारों को अपनाया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उनकी लेखनी न केवल साहित्यिक बल्कि आध्यात्मिक जागरूकता में भी अहम भूमिका निभा रही है.
अंशुमन भगत के विचार अब अंतरराष्ट्रीय मीडिया और समाजसेवी संगठनों तक पहुंच चुके हैं. विभिन्न ग़ैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ), शैक्षणिक संस्थानों और समाचार पोर्टलों में उनके उद्धरणों को प्रेरणा के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है. उनकी लेखनी ने नेपाल, मॉरीशस, दुबई, कनाडा और अमेरिका जैसे देशों में युवाओं, छात्रों, उद्यमियों और कलाकारों को एक नई दिशा दी है. कई समाचार चैनल और वेबसाइट उनके उद्धरणों को अपने लेखों में प्रकाशित कर रहे हैं, जिससे यह साबित होता है कि उनकी सोच अब सीमाओं से परे जाकर एक वैश्विक विचारधारा का रूप ले चुकी है.
अंशुमन भगत की लेखनी अब केवल साहित्य तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह व्यक्तिगत विकास, आध्यात्मिक उत्थान और समाज में सकारात्मक परिवर्तन का प्रतीक बन चुकी है. उनके विचारों का यह अंतरराष्ट्रीय प्रभाव यह दर्शाता है कि सही शब्द और विचार सीमाओं से परे जाकर लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित कर सकते हैं.