सौवीं सालगिरह : गांधी जी के सपनों को पूरा कर रहे जीजी पारिख

100th birthday ​GG Parikh : आज मुंबई में गांधीवादी और समाजवादी स्वतंत्रता सेनानी डॉ जीजी पारिख अपना 100वां जन्मदिन मना रहे हैं, , जिन्होंने जिंदगी भर गांधीवादी अर्थव्यवस्था पर चलते हुए गैर बराबरी मिटाने की बात करते रहे हैं. जीजी पारिख भारत छोड़ो आंदोलन में गांधी जी के नेतृत्व में जेल गये, फिर आपातकाल में जेपी आंदोलन में भी जेल गये.

By अनिल हेगड़े | December 30, 2024 6:55 AM
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100th birthday ​GG Parikh : दिसंबर के दूसरे सप्ताह में 83 साल के अमेरिकी सेनेटर बर्नी सांडर्स ने कहा था- ऑलिगार्की एक वैश्विक हकीकत है, जिसका मुख्यालय अमेरिका है. कुछ असाधारण अरबपति दुनिया की अधिकांश अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करते हैं. ये लोग पैसे के बल पर अभियान चला कर, सरकार का मालिक बन कर अमेरिकी सरकार को नियंत्रित कर रहे हैं. वर्ष 2020 से अब तक पांच अरब लोग दुनिया भर में गरीब हुए हैं, जबकि दुनिया के पांच अरबपति अपनी संपत्ति को हर घंटा 1.4 करोड़ डॉलर की रफ्तार से बढ़ा कर दोगुने से ज्यादा कर रहे हैं.

इधर आज मुंबई में गांधीवादी और समाजवादी स्वतंत्रता सेनानी डॉ जीजी पारिख अपना 100वां जन्मदिन मना रहे हैं, , जिन्होंने जिंदगी भर गांधीवादी अर्थव्यवस्था पर चलते हुए गैर बराबरी मिटाने की बात करते रहे हैं. जीजी पारिख भारत छोड़ो आंदोलन में गांधी जी के नेतृत्व में जेल गये, फिर आपातकाल में जेपी आंदोलन में भी जेल गये. वे आज सौ साल की उम्र में भी सक्रिय हैं. पेशे से डॉक्टर पारीख आजादी के आंदोलन में जयप्रकाश नारायण, आचार्य नरेंद्र देव, लोहिया, यूसुफ मेहरअली और अन्य लोगों ने कांग्रेस के अंदर 1934 में ‘कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी’ (सीएसपी) नाम से एक गुट बनाया था. यह गुट कांग्रेस के अंदर दबाव बनाकर दल को सैद्धांतिक दिशा दे रहा था. जीजी भी ‘सीएसपी’ के सदस्य थे.

जून, 1976 में आपातकाल के विरोध में जेपी आंदोलन चरम पर था. तभी बहुचर्चित ‘बड़ौदा डायनामाइट केस’ हुआ था, जिसमें इंदिरा गांधी ने सीबीआई का इस्तेमाल कर विपक्षी नेता जॉर्ज फर्नांडिस के खिलाफ राजद्रोह का आरोप लगाकर उन्हें तिहाड़ जेल में बंद कर दिया था. उस केस में जीजी प्रमुख अभियुक्तों में थे. वर्ष 1947 में ‘सीएसपी’ के नेताओं ने कांग्रेस से हट कर सोशलिस्ट पार्टी बनायी थी. गैर-बराबरी मिटाना, रोजगार सृजन करना, वंचित आबादी के लिए खास प्रयास करना समाजवादियों की प्राथमिकता में था. इनका मानना था कि देश में पूंजी की कमी है, जबकि प्रचुर श्रम उपलब्ध है. इसलिए वही तकनीक अपनानी चाहिए, जिसमें खर्च कम हो, जो आर्थिक स्थिति के अनुकूल हो, जिससे अधिक रोजगार सृजन होता हो और जिसका पर्यावरण पर दुष्प्रभाव भी कम हो.


वर्ष 1928 में ‘साइमन गो बैक’ और 1942 में ‘अंग्रेजो भारत छोड़ो’ के नारे यूसुफ मेहर अली के गढ़े हुए थे. वर्ष 1950 में 47 साल की उम्र में उनका देहांत हुआ. जीजी की पहल पर 1962 में ‘यूसुफ मेहर अली सेंटर’ की स्थापना हुई. ‘बैकुंठ भाई मेहता रिसर्च सेंटर फॉर डिसेंट्रलाइज्ड इंडस्ट्रीज’ के गठन में जीजी का अहम योगदान था. इन संस्थाओं में जीजी ने अपनी पूरी जिंदगी लगा दी. इन संस्थाओं द्वारा वैकल्पिक अर्थव्यवस्था के पक्ष में जीजी लगातार सक्रिय हैं. ग्रामीण कारीगरों के उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने ‘टॉलस्टॉय फॉर्म 2.00’ के नाम से कार्यक्रम लगातार चल रहे हैं, जो दक्षिण अफ्रीका में गांधीजी के ‘टॉलस्टॉय फॉर्म’ (1910) की याद दिलाता है. वर्ष 1946 में समाजवादियों ने ‘जनता वीकली’ नाम से पार्टी का मुखपत्र शुरू किया था. जीजी इसके संपादक हैं.


पटना स्थित अंजुमन इसलामिया सभागृह में 17 मई 1934 को जेपी के नेतृत्व में ‘सीएसपी’ का गठन हुआ था. इसकी 82वीं सालगिरह मनाने के लिए 17 मई, 2016 को जीजी की अगुआई में देश भर के समाजवादियों की इसी सभागृह में बैठक हुई थी. समाजवादी आंदोलन और जेपी आंदोलन की उपज नीतीश कुमार मुख्य-अतिथि थे. वर्ष 2006 में मुख्यमंत्री बनने के छह महीने के अंदर नीतीश कुमार ने पंचायतों और नगर निकायों के चुनाव में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया. ऐसा करने वाला बिहार देश में पहला राज्य बना, जो लिंगभेद मिटाने और महिला सशक्तीकरण की दिशा में पहला कदम था. महिलाओं को घरेलू हिंसा से छुटकारा दिलाने वाले गांधीजी के ‘अति प्रिय’ और ‘अति कठिन’ कार्यक्रम शराबबंदी लागू करने के जीजी हमेशा प्रशंसक रहे. समाजवादी लोग जातिगत जनगणना कराने की मांग हमेशा करते रहे हैं. जाति जनगणना सफलतापूर्वक कराकर प्रकाशित करने में भी बिहार देश का पहला राज्य बना. इस पर भी जीजी गर्व महसूस करते हैं.


दुनिया किस दिशा में जा रही है, बर्नी सांडर्स के वक्तव्य से हमें इसकी एक झलक देखने को मिली. इसको उलट कर गांधी जी का सपना साकार करने के लिए जीजी पारीख ने काम किया है. उनके जीवन से प्रेरणा लेकर 20 फीसदी लोग भी अगर इस काम में लगें, तभी गांधी जी का सपना पूरा होगा.
(ये लेखक के निजी विचार हैं. लेखक पूर्व सांसद, राज्यसभा हैं)

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