एआइ क्रांति की दिशा में

Artificial Intelligence : सरकार ने जीपीयूएस सब्सिडी रेट करीब 67 रुपये प्रति घंटा तय किया है. अगले तीन-चार साल में भारत अपने खुद के जीपीयू विकसित करेगा. दरअसल मार्च, 2023 में केंद्रीय कैबिनेट ने इंडिया एआइ मिशन के लिए 10,371.92 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी थी.

By संपादकीय | March 10, 2025 7:00 AM
an image

Artificial Intelligence : केंद्रीय आइटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पिछले दिनों इंडिया एआइ मिशन की पहली वर्षगांठ के मौके पर नयी दिल्ली में इंडिया एआइ कंप्यूट पोर्टल तथा डाटासेट प्लेटफॉर्म एआइ कोष लांच किया, जिसे एआइ क्रांति की नयी शुरुआत माना जा रहा है. इनकी लांचिंग का उद्देश्य देश में एआइ नवाचार को बढ़ावा देना तथा तकनीक तक पहुंच को सरल बनाना है.

इससे विश्व के सबसे बड़े कंप्यूटर ढांचा विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है, जो चीनी एआइ मॉडल डीपसीक से नौ गुना बड़ा होने वाला है. एआइ कोष संप्रभु डाटासेट प्लेटफॉर्म है, जो भारतीय एआइ मॉडल को विकसित और प्रशिक्षित करने में मदद करेगा. यह एक ऑल इन वन डाटासेट प्लेटफॉर्म है, जो उच्च गुणवत्ता वाले गैर व्यक्तिगत डाटा तक आसान पहुंच प्रदान करेगा. इस प्लेटफॉर्म पर टूल्स, संसाधन और विशेषज्ञ मार्गदर्शन भी मिलेगा, ताकि नयी तकनीकी संभावनाओं को उद्योग में बदला जा सके. जबकि नये क्लाउड आधारित इंडिया एआइ कंप्यूट पोर्टल के जरिये शोधार्थी, स्टार्टअप्स और सरकारी एजेंसियां शोध तथा परीक्षण के लिए सब्सिडी वाले जीपीयूएस (ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट्स) को एक्सेस कर सकती हैं. इसके लिए करीब 10,000 जीपीयूएस लाइव कर दिये गये हैं.

सरकार ने जीपीयूएस सब्सिडी रेट करीब 67 रुपये प्रति घंटा तय किया है. अगले तीन-चार साल में भारत अपने खुद के जीपीयू विकसित करेगा. दरअसल मार्च, 2023 में केंद्रीय कैबिनेट ने इंडिया एआइ मिशन के लिए 10,371.92 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी थी. इनमें से 45 प्रतिशत फंड से लगभग 18,693 जीपीयूएस लगाये जाने का लक्ष्य है. नये जीपीयू हासिल करने की सरकार की इस मुहिम का उद्देश्य शोधार्थियों और स्टार्टअप्स को एआइ मॉडल बनाने के लिए जरूरी कंप्यूटिंग पावर से लैस करना है. यह मिशन पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिये एआइ नवाचार को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया है.

अश्विनी वैष्णव ने इंडिया एआइ मिशन के तहत देश के 27 शहरों में एआइ डाटा लैब बनाने की घोषणा भी की है, जिसका इस्तेमाल एआइ में शोध और विकास के लिए किया जायेगा. भविष्य में भारत एआइ, सेमीकंडक्टर और डीपटेक में शीर्ष पांच देशों में शामिल होगा. केंद्रीय मंत्री ने ठीक ही कहा कि जिस तरह किफायती चंद्रयान मिशन के जरिये भारत ने चांद पर कदम रखा, उसी तरह भारत कम खर्च पर एआइ का बुनियादी मॉडल विकसित करेगा. दरअसल 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने में एआइ एक बड़ी भूमिका निभा सकता है और इंडिया एआइ मिशन इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version