तेल मंत्रालय से जुड़े पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (पीपीएसी) की देश में डीजल की मांग में मामूली वृद्धि से संबंधित ताजा रिपोर्ट बहुत कुछ कहती है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 में देश में डीजल की मांग कोरोना महामारी के बाद से सबसे कम रही. इस दौरान इसकी मांग मात्र दो प्रतिशत ही बढ़ी. डीजल की मांग में आयी इस कमी के पीछे आर्थिक विकास की गतिविधियों में कमी आने और इलेक्ट्रिकल व्हीकल के बढ़ते चलन जैसे कारण हैं. वैसे तो अपने यहां परिवहन क्षेत्र में शुरू से ही डीजल का दबदबा रहा है, लेकिन मौजूदा समय में पब्लिक ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक्स द्वारा इलेक्ट्रिक व्हीकल अपनाये जाने के कारण डीजल की मांग में तुलनात्मक रूप से कमी आ रही है. पीपीएसी) के आंकड़े के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 में डीजल की खपत केवल दो प्रतिशत बढ़कर 9.14 करोड़ टन हो गयी. यह वृद्धि दर उससे पहले के वित्त वर्ष के 4.3 प्रतिशत की वृद्धि दर से आधे से भी कम तथा वित्त वर्ष 2022-23 की 12.1 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर का एक छोटा-सा हिस्सा भर है. हालांकि इससे यह नहीं मानना चाहिए कि डीजल का उपयोग बिल्कुल ही कम हो गया है. देश में कच्चे तेल की कुल खपत में डीजल की हिस्सेदारी अब भी लगभग 40 प्रतिशत है. यह खपत मुख्य रूप से ट्रकों और खेती से जुड़े वाहनों में है. लेकिन इवी की बढ़ती लोकप्रियता डीजल की मांग को काफी हद तक प्रभावित कर रही है.
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