इवी वाहनों पर जोर

चार्जिंग सुविधा और बैटरी बदलने की व्यवस्था पर सरकार और कंपनियों को अतिरिक्त ध्यान देने की आवश्यकता है.

By संपादकीय | March 14, 2024 10:15 PM
feature

देश में दुपहिया और तिपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों (इवी) की बिक्री बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने नयी योजना की घोषणा की है, जिसके तहत पांच सौ करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. यह योजना एक अप्रैल से प्रारंभ होगी, जो चार माह तक चलेगी. प्रदूषण नियंत्रित करने तथा जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन और उपभोग बढ़ाने पर सरकार विशेष ध्यान दे रही है. इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण तथा बिक्री बढ़ाने की कोशिश उसी प्रक्रिया का महत्वपूर्ण अंग है. पिछले माह भारी उद्योग मंत्रालय ने इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण एवं अपनाने की गति बढ़ाने के लिए चल रही फेम योजना के दूसरे चरण में आवंटन को 10,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 11,500 करोड़ रुपये करने की घोषणा की थी. यह योजना 2019 से चल रही है. यह राशि दुपहिया, तिपहिया, कारों और बसों पर सब्सिडी के रूप में खर्च की जा रही है. इस योजना की अवधि 31 मार्च तक है. इन प्रोत्साहन अनुदानों का उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना तो है ही, साथ ही यह भी कोशिश हो रही है कि ऐसे वाहनों के कल-पुर्जों का निर्माण स्थानीय स्तर पर हो ताकि हर क्षेत्र में विकास को भी गति मिले. दुपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. इनके दामों में भी कटौती हो रही है तथा कंपनियां सस्ते मॉडल भी निकाल रही हैं. तकनीक के बेहतर इस्तेमाल से इलेक्ट्रिक और पेट्रोल से चलने वाले दुपहिया वाहनों के बीच का अंतर निरंतर कम हो रहा है.

वित्त वर्ष 2023-24 में 8.50 लाख दुपहिया वाहनों की बिक्री का अनुमान है. सरकार के वाहन पोर्टल के अनुसार, इस वर्ष जनवरी में 81,608 दुपहिया इलेक्ट्रिक वाहन बिके. यह बिक्री जनवरी 2023 की तुलना में 26 प्रतिशत और बीते दिसंबर से आठ प्रतिशत अधिक है. हालांकि यह प्रगति उत्साहजनक है, पर दुपहिया वाहनों के कुल बाजार में इलेक्ट्रिक वाहनों का हिस्सा केवल 4.5 प्रतिशत ही है. तिपहिया इलेक्ट्रिक वाहन भी अच्छी संख्या में बिक रहे हैं. ई-कॉमर्स और शहरों में ढुलाई के काम में लगी कंपनियों का इन वाहनों पर भरोसा तेजी से बढ़ा है. इसका लाभ दुपहिया वाहनों को भी मिल रहा है. केंद्र और राज्य सरकारें अपनी जरूरत के लिए भी इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद कर रही हैं तथा इलेक्ट्रिक बसों को भी अपनाया जा रहा है. फरवरी में 7,277 इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री हुई, जो पांच माह में सबसे कम है. ऐसा दाम में कटौती के बावजूद हुआ. इन वाहनों की स्वीकार्यता में सबसे बड़ी बाधा चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का सीमित होना है. चार्जिंग सुविधा और बैटरी बदलने की व्यवस्था पर सरकार और कंपनियों को अतिरिक्त ध्यान देने की आवश्यकता है. प्रोत्साहन और अनुदान की योजनाओं तथा आत्मनिर्भर भारत अभियान ने इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version