Tuberculosis : विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी यह रिपोर्ट बहुत चौंकाने वाली है, जिसमें कहा गया है कि टीबी ने 2023 में दुनिया की सबसे संक्रामक बीमारी का दर्जा फिर हासिल कर लिया है. वर्ष 2023 में टीबी से दुनिया में 12.5 लाख लोगों की मौत हुई. उस साल भारत में टीबी से हुई मौत का आंकड़ा 3.20 लाख था. रिपोर्ट बताती है कि 2023 में टीबी की रोकथाम और देखभाल में वैश्विक वित्तपोषण में कमी आयी.
अमेरिका द्वारा वित्तीय मदद घटाने तथा दुनिया के कई हिस्सों में युद्ध, संघर्ष और उथल-पुथल का नतीजा गरीब देश टीबी के बढ़ते बोझ के रूप में भुगत रहे हैं. टीबी आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करती है, पर यह शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर सकती है. टीबी के मरीज के बोलने, खांसने या छींकने के दौरान मुंह या नाक से निकले ड्रॉपलेट्स से स्वस्थ व्यक्ति भी संक्रमित हो सकता है. पौष्टिक आहार की कमी, एचआइवी संक्रमण, धूम्रपान, शराब का सेवन, डायबिटीज और कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र टीबी के कारण हैं. लेकिन उचित देखभाल और समय पर इलाज से टीबी के खिलाफ लड़ाई जीती जा सकती है.
जहां तक भारत की बात है, तो यह दुनिया में सबसे अधिक टीबी प्रभावित देशों में से एक है और दुनिया के कुल टीबी मामलों का 26 प्रतिशत भारत में है. वर्ष 2020 में भारत में टीबी के लगभग 18 लाख मरीज थे, जो 2024 में बढ़कर करीब 24 लाख हो गये. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, भारत में हर तीन मिनट में दो लोगों की मौत टीबी से होती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले 2025 तक भारत को क्षय रोग मुक्त करने का लक्ष्य रखा है. केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीइपी) के तहत मुफ्त जांच और इलाज की सुविधा उपलब्ध करायी है.
टीबी मरीजों की मासिक पोषण सहायता भी बढ़ायी गयी है. डब्ल्यूएचओ की ग्लोबल टीबी रिपोर्ट, 2024 के मुताबिक, 2015 से 2023 के बीच भारत में टीबी के मामलों में 17.7 फीसदी की गिरावट देखी गयी, जो वैश्विक औसत 8.3 की तुलना में दोगुने से भी अधिक है. क्षय रोग उन्मूलन की दिशा में गुजरात आगे चल रहा है, जबकि मेघालय सरकार ने राज्य के कुल 4,500 क्षयरोगियों को गोद लिया है. अच्छी बात यह है कि क्षय रोग के उन्मूलन अभियान में सरकार के साथ कॉरपोरेट और समाज के दूसरे समूहों की भी भागीदारी दिख रही है.