मौसम पूर्वानुमान में अग्रणी

छह किलोमीटर के दायरे में पूर्वानुमान की क्षमता हासिल करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है, जबकि यूरोपीय, अमेरिकी और ब्रिटिश मौसम कार्यालयों के मॉडल नौ से चौदह किलोमीटर के रेजोल्यूशन पर काम करते हैं. पुणे स्थित आइआइटीएम यानी भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान ने यह प्रणाली विकसित की है. इस तकनीक पर पिछले तीन वर्षों से काम चल रहा था.

By संपादकीय | May 28, 2025 8:26 AM
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देशभर में स्थानीय स्तर पर मौसम की ज्यादा सटीक जानकारी देने के लिए केंद्र सरकार ने स्वदेशी मौसम पूर्वानुमान प्रणाली भारत फोरकास्टिंग सिस्टम या बीएफएस की लॉन्चिंग की, जिसे आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में एक बड़ा कदम बताया जा रहा है. स्वदेशी रूप से निर्मित बीएफएस को पांच महिला विज्ञानियों ने विकसित किया है. इसी मानसून सीजन से काम शुरू करने वाली इस प्रणाली से छह किलोमीटर के दायरे में, यानी गांव से लेकर पंचायत स्तर तक मौसम का सटीक पूर्वानुमान जारी किया जा सकेगा. छह किलोमीटर के दायरे में पूर्वानुमान की क्षमता हासिल करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है, जबकि यूरोपीय, अमेरिकी और ब्रिटिश मौसम कार्यालयों के मॉडल नौ से चौदह किलोमीटर के रेजोल्यूशन पर काम करते हैं. पुणे स्थित आइआइटीएम यानी भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान ने यह प्रणाली विकसित की है. इस तकनीक पर पिछले तीन वर्षों से काम चल रहा था.

इन तीन वर्षों के दौरान इसने वर्षा के मामले में 30 प्रतिशत और मानसून के मामले में 64 प्रतिशत से अधिक सटीक भविष्यवाणी की. पुणे के आइआइटीएम परिसर स्थित सुपर कंप्यूटर अर्का मौसम पूर्वानुमान मॉडल को चलाने में चार घंटे लेता है. जबकि पुराने सुपर कंप्यूटर प्रत्यूष में दस घंटे लगते थे. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के मुताबिक, चूंकि उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में मौसम अस्थिर होता है और पैटर्न में बदलाव होते रहते हैं, ऐसे में स्थानिक बदलावों को पकड़ने के लिए ऊंचे रेजोल्यूशन की जरूरत पड़ती है. अभी देशभर में 40 डॉप्लर मौसम रडारों का नेटवर्क है. भविष्य में रडारों की संख्या सौ हो जाने वाली है. इसी के अनुरूप अगले दो वर्षों में बीएफएस की क्षमता को चार किलोमीटर की सटीकता तक लाये जाने का लक्ष्य रखा गया है. बीएफएस मानसून ट्रैकिंग, उड्डयन, चक्रवात निगरानी, आपदा प्रबंधन, कृषि, जलमार्ग, रक्षा और बाढ़ पूर्वानुमान को बढ़ावा देगा. बीएफएस से आंधी, तूफान, बारिश आदि की जानकारी पहले ही मिल जायेगी, जिससे सतर्क रहा जा सकेगा और नुकसान कम करने में भी मदद मिलेगी. इसका लाभ सेना, नौसेना और एनडीआरएफ को तो मिलेगा ही, किसानों के लिए भी यह बहुत लाभकारी साबित होने वाला है. बीएफएस मौसम की भविष्यवाणी में भारत को दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल करेगा. इससे मिलने वाला आंकड़ा भारत दूसरे देशों के साथ साझा करेगा, जिससे मौसम विज्ञान के क्षेत्र में भारत एक मजबूत देश के रूप में उभरेगा.

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