वर्तमान वित्त वर्ष 2023-24 में अप्रैल से दिसंबर की अवधि में कोयला उपभोग में आयातित कोयला की हिस्सेदारी घटकर 19.3 प्रतिशत तक आ गयी, जो पिछले वित्त वर्ष में इसी अवधि में 21 प्रतिशत रही थी. इस कमी से 82,264 करोड़ रुपये मूल्य के विदेशी मुद्रा की महत्वपूर्ण बचत हुई है. कोयला उपभोग में वृद्धि के बावजूद आयात का हिस्सा कम होने की मुख्य वजह यह है कि घरेलू उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 2014 से ही केंद्र सरकार द्वारा कोयला उत्पादन में कई सुधार लागू किये गये हैं तथा अनेक प्रोत्साहन दिये गये हैं. ऐसे उपायों से उत्पादन प्रणाली में भ्रष्टाचार कम हुआ है तथा समूची प्रक्रिया सुगम एवं पारदर्शी हुई है. वर्ष 2004 और 2014 के बीच आयातित कोयले का उपभोग दर हर साल औसतन 13.7 प्रतिशत रही थी, जो 2014 से 2024 की अवधि में ऋणात्मक होकर -2.7 प्रतिशत रहा गयी. पिछले पांच वर्षों में कोयले के घरेलू उत्पादन में हर साल औसतन 22.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. इन आंकड़ों से स्पष्ट रूप से यह इंगित होता है कि कोयला क्षेत्र में सुधार के प्रयास कारगर सिद्ध हुए हैं और कोयले के उत्पादन एवं उपलब्धता में बड़ी सफलता मिली है. वर्तमान वित्त वर्ष में छह फरवरी तक देश में 80.30 करोड़ टन कोयले का कुल संचयी उत्पादन हुआ है. इसी अवधि में पिछले साल उत्पादन का आंकड़ा 71.70 करोड़ टन रहा था.
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