कुछ समय पहले तक दिल का दौरा पड़ने से 40 साल से कम आयु के लोगों की मौत होना असामान्य घटना थी, पर अब ऐसे मामले लगातार सामने आने लगे हैं. यहां तक कि हर तरह से स्वस्थ दिखने वाले 50-55 साल के लोग भी हार्ट अटैक के शिकार होने लगे हैं. ऐसी घटनाएं भारत समेत दुनिया के कई देशों में हो रही हैं. यदि हम 20 से 40 साल तक के लोगों में हार्ट अटैक के मामलों से जुड़े आंकड़े देखें, तो 2000 से 2016 के बीच इस आयु वर्ग में दिल का दौरा पड़ने की दर में हर साल दो प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी. एक रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई के एक अस्पताल में बीते दो माह में हार्ट अटैक के शिकार लोगों की भर्ती में 15 से 20 प्रतिशत की वृद्धि देखी गयी है. सबसे चिंता की बात यह है कि कई रोगियों की आयु 25 साल के आसपास है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में दुनिया में 1.70 करोड़ लोगों की मौत हृदय रोगों से हुई थी, जिनमें 85 प्रतिशत को दिल का दौरा पड़ा था. इनमें से एक-चौथाई मौतें निम्न और मध्य आय वाले देशों में दर्ज की गयी थी. विशेषज्ञों की राय में आनुवंशिक कारणों से भारतीयों में हृदय रोग होने की आशंका अधिक रहती है और पाश्चात्य जीवन शैली अपनाने से जोखिम और बढ़ा है.
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