Rise of Women Power : हाल ही में भारतीय सशस्त्र बलों के इतिहास में नया अध्याय लिखा गया, जब सत्रह महिला कैडेट्स के पहले बैच ने एनडीए यानी राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से स्नातक की पढ़ाई पूरी कर ली. पहली बार सत्रह महिला कैडेट्स तीन सौ से अधिक पुरुषों के साथ एनडीए से ग्रेजुएट हुई हैं. ये सभी अब थलसेना, नौसेना और वायुसेना जॉइन करेंगी और अपनी सेवाएं देंगी. इनमें से कुछ युवतियां सैन्य परिवारों से हैं. इनमें से रितु दुहन बटालियन कैडेट कैप्टेन बनने वाली पहली महिला हैं. ये महिला कैडेट्स एनडीए की 148वें कोर्स के स्प्रिंग टर्म की उस पासिंग आउट परेड में शामिल हुईं, जो न केवल एनडीए की गौरवशाली परंपरा का उदाहरण है, बल्कि पहली बार इस परेड में महिला कैडेट्स की मौजूदगी लैंगिक समानता की दिशा में एक बड़ा कदम भी है.
निरीक्षण अधिकारी जनरल वीके सिंह ने, जो पूर्व सेना प्रमुख और अब मिजोरम के राज्यपाल हैं, परेड को संबोधित करते हुए कहा कि इतिहास में पहली बार इस ग्राउंड से लड़कियों का बैच भी पास हो रहा है. यह इन युवतियों के तीन साल के चुनौतीपूर्ण प्रशिक्षण का अंत था, लेकिन जनरल सिंह ने कहा कि यह लड़कियों के लिए ट्रेनिंग का अंत नहीं है, बल्कि नयी संभावनाओं की शुरुआत है. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2021 में महिलाओं को संघ लोकसेवा आयोग के माध्यम से रक्षा अकादमी में आवेदन करने की अनुमति देने के बाद का यह ऐतिहासिक परिणाम है.
दरअसल आजादी के सात दशक के बाद भी महिलाओं को टेरिटोरियल आर्मी में अधिकारी पदों पर भर्ती का प्रावधान नहीं था. उसी विसंगति पर दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गयी थी. मामला सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा, जहां से अनुमति मिलने के बाद 2022 में पहली बार महिला उम्मीदवारों का बैच एनडीए में शामिल हुआ, जो अब ग्रेजुएट हुई हैं.
यह अचानक नहीं है कि सशस्त्र सेवा में महिला अधिकारियों की भागीदारी का यह स्वर्णिम उदाहरण तब सामने आया है, जब ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सीमा पर बीएसएफ की महिला टुकड़ी ने मोर्चा संभाला था, तो दो महिला सेनाधिकारियों, कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने युद्धक विमान उड़ाने से लेकर भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाइयों के बारे में देश को लगातार जानकारी दी थी. यह ताजा उदाहरण देश में स्त्री शक्ति के उभार का गौरवशाली दृष्टांत है.