44 साल की प्रसिद्ध गायिका गायत्री हजारिका को कोलन कैंसर ने बनाया शिकार, अपनी लाइफस्टाइल पर ध्यान दें वरना…

Gayatri Hazarika : गायत्री हजारिका नहीं रहीं, यह सुनकर उनके प्रशंसक मौन हैं दुख में हैं. जो लोग गायत्री हजारिका को नहीं जानते वे यह सुनकर दुखी हैं कि महज 44 साल की उम्र में एक प्रतिभाशाली सिंगर की मौत कैंसर से हो गई. कैंसर आज के दौर में ऐसी बीमारी बन चुका है, जो अनगिनत लोगों को कम उम्र में अपना शिकार बना रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह है आज की जीवनशैली. अनहेल्दी फूड ने गट माइक्रोबायोम (Good Bacteria) को बिगाड़ दिया है, जो हमारे पाचनतंत्र को प्रभावित करते हैं.

By Rajneesh Anand | May 17, 2025 1:39 PM
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Gayatri Hazarika : असमिया भाषा की प्रसिद्ध युवा गायिका गायत्री हजारिका का निधन शुक्रवार को कोलन कैंसर से जूझते हुए हो गया. गायत्री हजारिका महज 44 साल की थी और पिछले कुछ समय से कोलन कैंसर से जूझ रही थीं. उनके निधन से उनके प्रशंसकों में घोर निराशा है, वहीं कला जगत भी एक प्रतिभावान युवा गायिका को खोकर शोक में डूबा है. गायत्री के गाए गीतों में सारा पाते पाते फागुन नामे और राति-राति मोर सोण सबसे अधिक लोकप्रिय हैं.

सांस्कृतिक एंबेसडर थीं गायत्री हजारिका

गायत्री हजारिका ने असमिया भाषा के पुराने गीतों को नए तरीके से अपनी आवाज में गाया. वे एक तरह से असमिया संस्कृति की पहचान बन गई थीं. उनकी मधुर और कोमल आवाज सबका मन मोह लेती थी. यही वजह थी कि उनकी खासी पहचान कला जगत में देशभर में बन गई थी. उनके लाइव कार्यक्रमों को देखने के लिए भी भीड़ उमड़ पड़ती थी. गायत्री ने बचपन से ही संगीत की शिक्षा ली थी और अपना नाम कमाया था. गायत्री हजारिका शादीशुदा थीं, उनके दो बच्चे हैं.

क्या होता है कोलन कैंसर

कोलन कैंसर का खतरा आमतौर पर बढ़ती उम्र में होता है, यानी यह उम्रदराज लोगों में ज्यादा देखने को मिलता है. लेकिन विगत कुछ वर्षों में यह बीमारी तेजी से युवाओं को भी अपना शिकार बना रही है. कोलन कैंसर बड़ी आंत को प्रभावित करता है और आंत की भीतरी परतों में कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं. कोशिकाओं के असामान्य रूप से बढ़ने की वजह से ट्यूमर बन जाता है, जिसे कोलन कैंसर कहा जाता है.

क्या जानलेवा है कोलन कैंसर

कोलन कैंसर जानलेवा हो सकता है, लेकिन इसकी पहचान अगर समय रहते हो जाए, तो इलाज संभव है. कोलन कैंसर को अगर शुरुआती स्टेज में पकड़ लिया जाए, तो 90% से अधिक लोग स्वस्थ हो जाते हैं. कोलन कैंसर की चुनौती यह है कि इसके लक्षण शुरुआती जल्दी समझ नहीं आते हैं, इसकी वजह से ही यह कैंसर जानलेवा हो जाता है.

क्या है कोलन कैंसर के लक्षण और इलाज

कोलन कैंसर के लक्षण बहुत विशेष नहीं होते हैं. सबसे बड़ा अंतर जो इस बीमारी में नजर आता है वो है बार-बार दस्त होना या कब्ज रहना. मल त्याग की आदतों में बदलाव. मल के साथ खून आना या मल का रंग काला हो जाना. पेट में दर्द रहना रहना और सबसे प्रमुख लक्षण है अचानक वजन का कम होना. कोलन कैंसर का इलाज सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन के जरिए होता है,जैसे कि किसी और कैंसर का इलाज होता है. जीवनशैली इस कैंसर के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है. जंक फूड का सेवन और फाइबर फूड से दूरी इसकी बड़ी वजह बनती है. घंटों लगातार बैठ कर काम करना भी कोलन कैंसर की वजह बन सकता है.

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