Historian Deportation: भारतीय इतिहासकार मणिकर्णिका को ब्रिटेन से निकाले जाने का खतरा, जानें क्यों हुआ ऐसा

Historian Deportation: भारतीय मूल की इतिहासकार मणिकर्णिका दत्ता को ब्रिटेन से बाहर जाने के लिए कहा गया है. उन्होंने ब्रिटेन से बाहर रहने की अधिकतम दिनों की सीमा से ज्यादा समय भारत में बिताया है. इस कारण उन पर कार्रवाई की जा रही है. वह 10 साल से ब्रिटेन में रह रही थीं.

By Amit Yadav | March 17, 2025 12:33 PM
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Historian Deportation: मणिकर्णिका दत्ता को ब्रिटेन से बाहर निकाला जा रहा है. वहां के गृह विभाग ने उन्हें चेतावनी दी है कि यदि वो स्वेच्छा से नहीं गई, तो उन्हें कानूनन देश से निकाला जा सकता है. मणिकर्णिका ने इस आदेश को यूके के कानून के तहत चुनौती दी है.

भारतीय इतिहासकार मणिकर्णिका दत्ता ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी कॉलेज डबलिन में इतिहास के स्कूल में सहायक प्रोफेसर हैं. उन्होंने भारत में शोध के लिए अनिश्चितकालीन छुट्टी (Indefinite Leave to Remain-ILR) के लिए आवेदन किया था. लेकिन 10 साल या उससे ज़्यादा समय तक ब्रिटेन में रहने के आधार पर उनकी अनिश्चितकालीन छुट्टी के आवेदन खारिज कर दिया गया. नियमानुसार आवेदक 548 दिनों से ज़्यादा ब्रिटेन से बाहर नहीं रह सकते. जबकि मणिकर्णिका दत्ता 691 दिनों तक ब्रिटेन से बाहर रहीं. कानून के अनुसार मोनिका को यूनाइटेड किंगडम (UK) छोड़ना होगा. वहां के गृह विभाग ने मणिकर्णिका से कहा है कि यदि वह स्वेच्छा से यूके नहीं छोड़ेंगी, तो उन पर 10 साल का प्रतिबंध लगाया जा सकता है और अधिक समय तक रहने के लिए मुकदमा चलाया जा सकता है.

यूके में कब से हैं मणिकर्णिका

मणिकर्णिका दत्ता 2012 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए यूके गई थी. उन्होंने वहां से डॉक्टरेट भी किया है. दत्ता पहले छात्र वीजा पर यूके आईं और बाद में अपने पति के आश्रित के रूप में जीवनसाथी वीजा प्राप्त किया. उन्होंने शिक्षाविद डॉ. सौविक नाहा से विवाह किया था. दोनों 10 वर्षों से दक्षिण लंदन में एक साथ रह रहे हैं. डॉ. नाहा ग्लासगो विश्वविद्यालय में साम्राज्यवादी और उत्तर-औपनिवेशिक इतिहास के सीनियर लेक्चरर हैं. मणिकर्णिका दत्ता और और उनके पति ने ब्रिटेन में लंबे समय तक रहने के आधार पर पिछले साल अक्टूबर में अनिश्चितकालीन छुट्टी के लिए आवेदन किया था. इसमें उनके पति के आवेदन को मंजूरी मिल गई, लेकिन उनके आवेदन को अस्वीकार कर दिया गया. मणिकर्णिका ने अस्वीकृति की प्रशासनिक समीक्षा के लिए आवेदन किया. लेकिन गृह मंत्रालय अपना निर्णय बरकरार रखा.

भारत में रहने का ये था कारण

मणिकर्णिका दत्ता ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से आधुनिक इतिहास में एमए और वेलकम ट्रस्ट मास्टर्स छात्रवृत्ति ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से वित्त पोषित विज्ञान, चिकित्सा और प्रौद्योगिकी के इतिहास में एमएससी की पढ़ाई पूरी की. उपनिवेशवाद और चिकित्सा के इतिहासकार, दक्षिण एशिया में ब्रिटिश साम्राज्य पर उनका विशेष कार्य है. वह वर्तमान में यूनिवर्सिटी कॉलेज डबलिन में इतिहास के स्कूल में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. उन्होंने ऑक्सफोर्ड और ब्रिस्टल विश्वविद्यालयों में अपना शोध किया था. ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के अपने शोध के तहत उन्हें भारत में अभिलेखागार का अध्ययन करना था. साथ ही कई कार्यक्रमों में भाग लेना था. मणिकर्णिका का कहना है कि भारत में ऐतिहासिक अभिलेखों की आवश्यकता होती है, जिसके कारण उन्हें अक्सर यात्रा करनी पड़ती है। यदि वो शोध यात्राएं नहीं करती तो अपनी थीसिस पूरी नहीं कर पातीं. अपने संस्थानों की शैक्षणिक आवश्यकताओं को पूरा न करने के कारण अपना वीजा स्टेटस भी बरकरार नहीं रख पातीं.

अब ब्रिटेन से निकाले जाने का खतरा

मणिकर्णिका दत्ता को यूके के गृह विभाग से एक ईमेल मिला. जिसमें उन्हें ब्रिटेन से जाने के लिए कहा गया. उन्होंने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरे साथ ऐसा कुछ होगा. हालांकि मणिकर्णिका ने इस मामले में गृह विभाग को कानूनी नोटिस दिया है. इस पर तीन माह में विचार करने की बात कही गई है.

अनिश्चितकालीन छुट्टी (ILR) क्या है?

अनिश्चितकालीन छुट्टी (Indefinite Leave to Remain-ILR) व्यक्तियों को बिना समय की पाबंदी के यूके में रहने, काम करने और अध्ययन करने का अधिकार देता है. गृह विभाग के नियमों के अनुसार आईएलआर आवेदकों को 10 साल की अवधि में 548 दिनों से अधिक समय तक यूके से अनुपस्थित नहीं रहना चाहिए. ये ब्रिटिश नागरिकता के लिए एक रास्ते के रूप में कार्य करता है. इसके लिए आवेदकों को कुछ मानदंडों को पूरा करना होता है. जिसमें निरंतर निवास, अनुपस्थिति की सीमाओं का पालन, यूके में जीवन परीक्षण पास करना और अंग्रेजी में दक्षता शामिल है.

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