इमरान खान से पहले पाकिस्तान में जुल्फिकार अली भुट्टो को दी गई थी जेल में यातना, फिर फांसी

Imran Khan News : पाकिस्तान के इतिहास में इमरान खान पहले ऐसे प्रधानमंत्री नहीं हैं, जिन्हें जेल में यातनाएं दी जा रही हैं. वहां कई ऐसे प्रधानमंत्री हुए हैं, जिन्हें सत्ता छोड़कर जेल जाना पड़ा और यातनाएं दी गई. जुल्फिकार अली भुट्टो तो वहां के निर्वाचित प्रधानमंत्री थे, जिनका तख्ता पलट कर उन्हें जेल में ही फांसी दे दी गई थी. उस वक्त सत्ता की बागडोर जनरल जिया उल हक के हाथों में थी और उसने पाकिस्तान का इस्लामीकरण कर उसे एक कट्टर देश बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ी.

By Rajneesh Anand | May 11, 2025 4:30 PM
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Imran Khan News : पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की मौत की खबर शनिवार को सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हुई, हालांकि पाकिस्तानी सरकार ने इस खबर को झूठा करार दिया है, लेकिन पाकिस्तान में इस तरह की घटना का हो जाना कोई अनहोनी नहीं है. पाकिस्तान में इससे पहले भी कई प्रधानमंत्रियों को जेल में रखा गया है और उनके साथ दुर्व्यहार की खबरें सामने आती रही हैं. यह संभव है कि इमरान खान की मौत ना हुई हो, लेकिन पाकिस्तान में जिस तरह का छद्म लोकतंत्र है, वहां कुछ भी होना चौंकाने वाली घटना नहीं कही जाएगी. जुल्फिकार अली भुट्टो जो 1973 से 1977 तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे थे, उनका तख्तापलट करके उन्हें जेल में ही फांसी दी गई थी.

पाकिस्तान का लोकतंत्र एक धोखा

पाकिस्तान भले ही खुद को एक लोकतांत्रिक देश बताता हो, लेकिन यह एक सच्चाई है कि पाकिस्तान में लोकतंत्र का होना एक धोखा है, झूठ है. वहां की सेना हर वक्त सरकार पर हावी रहती है. पाकिस्तान के इतिहास में सेना ने तीन बार तख्ता पलट कर शासन को अपने कब्जे में लिया है. 1958,1977 और 1999 में पाकिस्तानी सेना ने तख्ता पलट कर शासन को अपने कब्जे में लिया था. सेना हमेशा यह दावा करती है कि शासन कमजोर है और देशहित में उसे शासन की बागडोर संभालनी पड़ रही है. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को सत्ता से हटाने के बाद जेल में बंद कर दिया गया था और भयंकर यातना दी गई थी, उसके बाद उन्हें फांसी पर भी चढ़ा दिया गया था, जबकि जुल्फिकार अली भुट्टो की पार्टी को चुनाव में भारी जीत मिली थी, लेकिन सेना ने एक चुनी हुई सरकार को हटाकर सत्ता पर कब्जा किया था. उस वक्त पाकिस्तानी सेना के जनरल थे जनरल मोहम्मद जिया उल हक.

जुल्फिकार अली भुट्टो को जेल में दी गई थी भयंकर यातना

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने अपनी किताब ‘If I Am Assassinated’ में लिखा है कि उन्हें जेल में काफी यातना दी गई. उन्हें एक तंग कमरे में रखा जाता था, जहां ना तो ठीक से रोशनी आती थी और ना ही हवा. हर वक्त भुट्टो पर नजर रखी जाती थी और उन्हें अपमानित भी किया जाता था. यहां तक कि जेल में उन्हें मानवीय सहायता तक उपलब्ध नहीं कराई जाती थी. उन्हें ना तो बीमार होने पर दवा दी जाती थी और ना उन्हें कोई कागज या कलम दिया जाता था. उनपर जो केस चलाया गया, वह भी एक तरफा कार्रवाई के तहत चला और उसमें निष्पक्ष कार्रवाई नहीं की गई. उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि वे एक ऐसे कैदी थे, जो अपनी मौत का इंतजार कर रहा था, एक घुटन और सीलन से भरे कमरे में. पाकिस्तान में जुल्फिकार अली भुट्टो एक करिश्माई नेता की तरह थे, जिन्हें आम जनता का भरपूर समर्थन प्राप्त था. बावजूद इसके सेना ने उन्हें जेल में डाला, यातनाएं दी और फांसी पर भी चढ़ा दिया.

पाकिस्तान में हावी है कट्टरपंथी सोच, सेना देती है बढ़ावा

जुल्फिकार अली भुट्टो ने अपनी किताब में लिखा है कि पाकिस्तानी समाज में जागीरदारी सोच हावी है, जिसकी वजह से कट्टरपंथ लगातार बढ़ रहा है. सेना यह चाहती है कि देश में कट्टरपंथी हावी रहें और पाकिस्तान का इस्लामिक चेहरा बना रहे. वे देश में गरीब और मध्यमवर्ग को पनपने नहीं देना चाहते हैं. समाज में शिक्षा की सख्त कमी है और इसी वजह से सेना की मनमानी कायम रहती है. भुट्टो ने जनरल जिया उल हक को पाखंडी और कायर बताया था. भुट्टो ने यह भी लिखा है कि पाकिस्तानी सेना खुद को देश से ऊपर मानती है और अगर यही सोच कायम रही, तो पाकिस्तान कभी स्थिर नहीं हो पाएगा. भुट्टो ने अपनी मौत से पहले यह लिखा था कि अगर उन्हें फांसी हुई, तो यह उनकी हत्या नहीं होगी, बल्कि यह पाकिस्तान में लोकतंत्र की हत्या होगी.

जिया उल हक ने पाकिस्तान में बढ़ाया कट्टरवाद

जुल्फिकार अली भुट्टो ने अपनी हत्या को लेकर जो शंका जताई थी, उसे जनरल जिया उल हक ने सच साबित किया. भुट्टो को फांसी देने के बाद जनरल जिया उल हक ने शासन पर अपना कब्जा जमा लिया और लगभग 11 साल तक उसकी तानाशाही चली. इस दौरान उसने पाकिस्तान में कट्टरवाद को बढ़ाया और कई ऐसे कानून बनाए, जिसकी वजह से देश में महिलाओं की स्थिति बदतर हुई और देश रसातल में गया. ईशनिंदा कानून को और कठोर किया गया और महिलाओं की सामाजिक स्थिति कमजोर की गई. शरिया कानून को देश के कानून से ऊपर बताया गया और इसने पाकिस्तान को बहुत बड़ा नुकसान कराया.

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