पाकिस्तान का हुलिया बदलने की तैयारी में भारत, Su-57 और F-35 की खरीद पर कर रहा विचार

India Defence Diplomacy : 1947 में देश की आजादी के बाद जब बंटवारा हुआ, उसी वक्त से भारत ने अपने पड़ोस में एक दुश्मन पाल लिया है. पाकिस्तान नाम का यह दुश्मन हमेशा इस फिराक में रहता कि वह भारत को नुकसान पहुंचाएं, इसी वजह से भारत को हमेशा अपनी डिफेंस डिप्लोमेसी पर ध्यान देना पड़ता है. पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर के बाद तो भारत ने इस ओर गंभीरता से विचार करना शुरू किया है और अपने फाइटर जेट्‌स को और मजबूत करने का सोचा है. इसी क्रम में Su-57 और F-35 की खरीद पर विचार किया जा रहा है.

By Rajneesh Anand | May 31, 2025 3:55 PM
an image

Table of Contents

India Defence Diplomacy : ऑपरेशन सिंदूर के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच जिस तरह के संबंध बन गए हैं भारत अपनी सुरक्षा को लेकर और चिंतित हो गया और अपनी डिफेंस सिस्टम को और मजबूत करने की दिशा में विचार कर रहा है. इसी क्रम में भारत राफेल लड़ाकू विमानों से आगे की सोच रहा है और संभावना जताई जा रही है कि Su-57 और F-35 की खरीद पर भारत जल्दी ही फैसला लेगा. भारत की रक्षा नीति अब हथियारों की खरीद से आगे आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही है. भारत यह चाहता है कि वह हथियारों के लिए दूसरों पर निर्भर ना रहे बल्कि वह खुद इसका निर्माण भी कर सके. फ्रांस से राफेल का सोर्स कोड मांगना इसी दिशा की ओर बढ़ाया गया कदम है.

भारत, फ्रांस से क्यों मांग रहा है राफेल का सोर्स कोड?

भारत ने फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमानों के सोर्स कोड की मांग की है, इसकी वजह यह है कि भारत तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनना चाहता है. अपने स्वदेशी हथियारों और प्रणालियों को विमान में अटैच करना इस मांग के पीछे बड़ी वजह है. अगर ऐसा संभव हो पाया, तो भारत को विदेशी ताकतों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. लेकिन राफेल भारत की इस मांग को पूरा करने से मना कर रहा है. राफेल बनाने वाली कंपनी डसॉल्ट एविएशन इस बात के लिए राजी नहीं है, उनका कहना है कि यह उनकी बौद्धिक संपत्ति है, जिसे वे किसी के साथ साझा नहीं करना चाहते हैं. इस स्थिति में निश्चित तौर पर भारत अपने डिफेंस सिस्टम को और मजबूत करने के लिए अन्य विकल्पों पर विचार करने की सोच रहा है.

Su-57 की ओर है भारत का झुकाव

राफेल, एसयू-57 और एफ-35 की विशेषता

विशेषताराफेल (France)Su-57 (Russia)F-35 Lightning II (USA)
पीढ़ी 4.55वीं5वीं
स्टील्थ सीमित स्टील्थउन्नत स्टील्थअत्यधिक स्टील्थ (सबसे बेहतरीन)
सिंगल/डुअल इंजनडुअल इंजनडुअल इंजनसिंगल इंजन
टेक्नोलॉजी ओपननेससीमितओपन (भारत को ट्रांसफर की पेशकश संभव)सीमित
मिसाइल रेंजMeteor (150+ किमी)R-77, R-74, Kinzhal (हाइपरसोनिक विकल्प)AIM-120D (180 किमी), AIM-9X
एवियोनिक्स / सेंसर्सउन्नत लेकिन पश्चिमीमिश्रित, कुछ सीमितसबसे उन्नत (sensor fusion, data-link)
लागत प्रति विमान (लगभग)$100-120 मिलियन$35-50 मिलियन (रूस में)$80-100 मिलियन

फ्रांस द्वारा राफेल का सोर्स कोड देने से मना करने पर भारत ने रूस के Su-57 में रूचि दिखाई है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने अपने डिफेंस सिस्टम को मजबूत करने के लिए बहु विकल्पों पर फोकस किया है. चूंकि फ्रांस ने राफेल के सोर्स कोड को देने से मना कर दिया है, इसलिए भारत Su-57 पर विचार कर रहा है. भारत और रूस ने Su-57 लड़ाकू विमान की डील पर बातचीत फिर से शुरू कर दी है. इस डील में रूस इस बात पर सहमत है कि वह भारत को इस विमान का सोर्स कोड साझा करेगा, ताकि भारत इसमें अपनी सुविधानुसार बदलाव और उपयोग कर पाए. किसी लड़ाकू विमान (fighter jet) का सोर्स कोड (source code) उस विमान के सॉफ्टवेयर का मूल प्रोग्रामिंग कोड होता है, जो विमान के सभी इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम, हथियार नियंत्रण, रडार और मिशन कंप्यूटर को चलाता है. सोर्स कोड पता होने पर उसे इस्तेमाल करने वाले देश का पूर्ण नियंत्रण विमान पर स्थापित हो जाता है. इसका फायदा यह होता है कि इस्तेमाल करने वाला देश अपने हथियार, रडार और अन्य प्रणाली विमान में जोड़ सकता है.

फाइटर जेट का इंजन भारत के लिए चुनौती बना

भारत अपनी रक्षा जरूरतों के लिए काफी सजग है, लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि फाइटर जेट का इंजन बनाने में भारत को अबतक सफलता नहीं मिल पाई है. हालांकि भारतीय वैज्ञानिक प्रयासरत हैं. इसी क्रम में कावेरी इंजन बनाया गया है, लेकिन वह फाइटर जेट के मानकों तक पहुंच नहीं पाया है. उम्मीद की जा रही है आने वाले वर्षों में भारत फाइटर जेट के इंजन की चुनौती से निपट लेगा.

Su-57 खरीदने पर अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश क्यों करते हैं प्रतिबंध की बात?

भारत जब भी अपनी रक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए कोई हथियार या डिफेंस सिस्टम खरीदता है तो अमेरिका और पश्चिमी देशों को खुजली मचती रही है. जब भारत ने एस-400 डिफेंस सिस्टम खरीदा था, उस वक्त भी अमेरिका द्वारा प्रतिबंध की चर्चा हुई थी, हालांकि ऐसा कुछ हुआ नहीं. अब जबकि भारत Su-57 की ओर देख रहा है, तो संभव है कि अमेरिका की ओर से आपत्ति आए या पश्चिमी देश आपत्ति जताएं, लेकिन भारत को इन चीजों से निपटने के लिए कूटनीतिक पहल करनी होगी.

Also Read : मोदी सरकार के लिए तुरूप का इक्का साबित होगा ऑपरेशन सिंदूर पर 7 सर्वदलीय डेलिगेशन विदेश भेजना

क्या शशि थरूर से पीछा छुड़ाना चाहती है कांग्रेस पार्टी, बार-बार सामने आ रहे विवाद के पीछे कौन हैं मास्टरमाइंड?

पाकिस्तान में बलात्कार पीड़िताओं को देनी होती थी 4 पुरुषों की गवाही, वरना मिलती थी 100 कोड़े की सजा

हिंदू और मुसलमान के बीच भारत में नफरत की मूल वजह क्या है?

विभिन्न विषयों पर एक्सप्लेनर पढ़ने के लिए क्लिक करें

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version