Table of Contents
- भारतीय सेना पाकिस्तान के लाहौर तक पहुंच गई थी
- क्या था शिमला समझौता
- शिमला समझौता की खास बातें
- भारत ने पाकिस्तान की जीती हुई भूमि को क्यों छोड़ दिया था?
- पीओके हो सकता है भारत का हिस्सा
India-Pakistan Wars: भारत-पाकिस्तान के बीच जब भी युद्ध हुए हैं, पाकिस्तान बुरी तरह पराजित हुआ है और उसने भारत के सामने आत्मसमर्पण भी किया है, बावजूद इसके वह गीदड़ भभकी देता रहता है. 1971 का युद्ध अगर पाकिस्तान ना भुला हो तो उसे यह याद रखना चाहिए कि इस युद्ध में पाकिस्तान ने भारत के सामने आत्मसमर्पण किया था. उसके 93 हजार से अधिक युद्धबंदी भारत के कब्जे में थे और पाकिस्तान की 5,795 वर्ग मील भूमि पर पाकिस्तान का कब्जा था. बावजूद इसके भारत ने ना सिर्फ पाकिस्तान की पूरी भूमि उसे वापस दी, बल्कि मानवता के आधार पर शिमला समझौते के बाद तमाम युद्धबंदियों को भी छोड़ दिया था. आज पाकिस्तान उसी शिमला समझौते से बाहर आने की बात कर रहा है. अगर पाकिस्तान ने यह गलती की, तो उसे पीओके से हाथ धोना पड़ सकता है.
भारतीय सेना पाकिस्तान के लाहौर तक पहुंच गई थी
1971 के युद्ध में पूर्वी पाकिस्तान में ढाका तक और पश्चिमी पाकिस्तान में लाहौर के करीब तक भारतीय सेना का कब्जा था. उस वक्त भारतीय सेना ने घुटनों पर आकार भारतीय सेना के सामने हथियार डाले थे.बावजूद इसके भारत ने पाकिस्तान की जमीन छोड़ दी और पूरे विश्व को यह संदेश दिया कि भारत कभी अपने क्षेत्र में अशांति नहीं चाहता और अपने पड़ोसियों को वह सम्मान करता है. भारत के इस रवैये से उसे अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिला था. आज भी भारत की छवि वैश्विक मंच पर इसी तरह की है कि भारत एक शांतिप्रिय देश है.
क्या था शिमला समझौता
भारत और पाकिस्तान के बीच जब 1971 का युद्ध खत्म हुआ और पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश के रूप में आजाद हुआ, तो भारत और पाकिस्तान के संबंधों को सामान्य बनाने और भविष्य में युद्ध को टालने के लिए शिमला समझौता हुआ था. यह समझौता बहुत खास था, क्योंकि इसके बाद ही भारत ने पाकिस्तान की 5,795 वर्ग मील भूमि और 93 हजार युद्धबंदी को रिहा कर दिया था. इस समझौते के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच एलओसी का निर्धारण हुआ और यह सहमति बनी कि दोनों देश इसका सम्मान करेंगे. उससे पहले इस लाइन को सीजफायर लाइन के नाम से जाना जाता था. इस समझौते में यह सहमति भी बनी थी कि दोनों देश आपसी विवादों को दिपक्षीय बातचीत से हल करेंगे.
शिमला समझौता की खास बातें
मुख्य बातें | विवरण |
---|---|
1. द्विपक्षीय समाधान | भारत और पाकिस्तान सभी विवादों को आपस में ही शांतिपूर्ण और द्विपक्षीय बातचीत से सुलझाएंगे . |
2. युद्ध विराम की पुष्टि | 1971 के युद्ध के सीज़फायर को औपचारिक रूप से स्वीकार किया गया. |
3. नियंत्रण रेखा (LoC) | पूर्व की सीजफायर लाइन” को “नियंत्रण रेखा (LoC)” नाम दिया गया. दोनों देश इस रेखा का सम्मान करने पर सहमत हुए. |
युद्धबंदी और भूमि वापसी | भारत ने 93,000 पाकिस्तानी युद्धबंदियों को रिहा किया और पश्चिमी मोर्चे पर कब्जा की गई जमीन पाकिस्तान को लौटा दी. |
शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व | भारत और पाकिस्तान एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करने पर सहमत हुए. |
भारत ने पाकिस्तान की जीती हुई भूमि को क्यों छोड़ दिया था?
शिमला समझौता भारत की उस वक्त की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच हुआ था. उस वक्त भारत विजेता था और हमारे पास सबकुछ था. भारत अगर चाहता तो पाकिस्तान को ना तो जमीन वापस करता और ना ही युद्धबंदी.भारत ने यह युद्ध नैतिक आधार पर लड़ा था, जिसके पीछे वजह बांग्लादेश की मुक्ति थी. पाकिस्तान ने पूर्वी पाकिस्तान की मुक्ति को मौन सहमति दे दी थी, जिसके बाद भारत ने विश्व को यह मैसेज दिया कि हम शांति चाहते हैं, युद्ध नहीं. यह भारतीय कूटनीति थी, जिसके विश्व जनमत को अपने पक्ष में किया. साथ ही उसने पाकिस्तान को द्विपक्षीय वार्ता के लिए भी तैयार किया. हालांकि पाकिस्तान ने इस समझौते की सभी शर्तों को पूरी तरह कभी नहीं माना, लेकिन उस वक्त के लिहाज से पाकिस्तान की जमीन और युद्धबंदियों की वापसी करके भारत ने अपनी कूटनीतिक जीत दर्ज की थी.
पीओके हो सकता है भारत का हिस्सा
पाकिस्तान ने अगर शिमला समझौते को तोड़ा, तो उसके लिए परिणाम बहुत गंभीर हो सकते हैं, क्योंकि तब भारत पीओके पर आसानी से सैन्य कार्रवाई कर सकता है. यह बात अलग है कि इसके लिए उसे अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाना पड़ सकता है, लेकिन समझौता टूटने के बाद भारत पीओके पर सैन्य कार्रवाई करके उसे वापस भारत में मिला सकता है.
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