Mental Health: तनावग्रस्त छात्रों के लिए सरकारी पहल, जानिए कहां से ले सकते हैं परामर्श

निराशा, अवसाद हमारा आत्मविश्वास डिगा देते हैं. ऐसे में जरूरी है कि हम उन सेवाओं के बारे में जानें, जो हमारी परेशानी हल कर सकती हैं. ऐसी ही कुछ सेवाओं के बारे में यहां बताया गया है.

By Aarti Srivastava | April 2, 2025 4:07 PM
an image

Mental Health: एक कहावत है- ‘मन के हारे हार है, मन के जीते जीत.’ यदि हम मन से हार नहीं मानते, तो पूरी दुनिया जीत सकते हैं. समस्याओं, चुनौतियों का क्या है, वे तो आती ही हैं हमारी हिम्मत को परखने. जिस दिन हम इस बात को समझ जायेंगे, अपने जीवन से हार नहीं मानेंगे. परंतु मानसिक मजबूती की कमी के कारण कई बार छात्र चुनौतियों से हार मान अपना जीवन समाप्त कर लेते हैं. जीवन से पलायन समस्या का हल नहीं है. यहां हम आपको कई ऐसी हेल्पलाइन के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपकी समस्या सुनेंगे और उसके हल के लिए आपको परामर्श भी प्रदान करेंगे. इससे न केवल आपकी चिंता दूर हो जायेगी, बल्कि आपका खोया आत्मविश्वास भी लौट आयेगा. साथ ही जानिए देश-दुनिया में होने वाली ऐसी ही पहलों के बारे में.

केंद्र सरकार द्वारा उठाये गये कदम

देशभर में छात्रों के बीच बढ़ती मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने और उनके मनोबल को मजबूत बनाने के उद्देश्य से समय-समय पर केंद्र सरकार ने कई कदम उठाये हैं. इन कदमों में किरण हेल्पलाइन (टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर (1800-599-0019) ), मनोदर्पण पहल, राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम नीति, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य नीति, मानस मित्र एप, राष्ट्रीय टेली मानस स्वास्थ्य कार्यक्रम (टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर (14416)), स्कूली बच्चों के लिए एनसीइआरटी की पहल समेत सीबीएसइ की काउंसलिंग सेवा (टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर (1800-11-8004)) आदि शामिल हैं.

राज्य सरकारों द्वारा किये गये कुछ उपाय

केंद्र सरकार द्वारा की गयी उपरोक्त पहलों के अतिरिक्त कई राज्य सरकारों ने भी छात्रों को आत्महत्या से बचाने के लिए कई कदम उठाये हैं, इनमें राजस्थान सरकार द्वारा छात्रों की सहायता के लिए एक टोल-फ्री हेल्पलाइन की स्थापना की गयी है. इसके साथ ही मानसिक स्वास्थ्य संबंधी दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं. कोटा में डीएम के साथ डिनर पहल की शुरुआत की गयी है. कर्नाटक में जहां इ-मानस हेल्पलाइन शुरू की गयी है, वहीं दिल्ली में दिल्ली केयर्स के जरिये टेलीफोन के माध्यम से छात्रों को काउंसलिंग सुविधा प्रदान की जाती है.

इन्हीं भी पढ़ें: मानसिक समस्या से जूझ रहे हैं, तो जानिए कहां से ले सकते हैं मदद

इन देशों ने भी चलाये हैं अभियान

नॉर्डिक देश : सभी नॉर्डिक देशों- डेनमार्क, नॉर्वे, स्वीडन, फिनलैंड, ग्रीनलैंड, आइसलैंड, फराओ द्वीप समूह और आलैंड द्वीप समूह- में आत्महत्या से बचाव के लिए टेलीफोन हेल्पलाइन मौजूद हैं. इनमें से कई देशों में अलग-अलग आयु समूहों, जैसे बच्चे, युवा और मानसिक विकारों से ग्रस्त लोगों के लिए अनेक हेल्पलाइन उपलब्ध करायी गयी है. वहीं कई देशों में राष्ट्रीय योजनाएं भी हैं.

ब्रिटेन : इस देश में उच्च शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल के लिए हायर एजुकेशन मेंटल हेल्थ इंप्लीमेंटेशन टास्क फोर्स का गठन किया गया है. इसके साथ ही सरकार ने कई सारे अन्य कदम भी उठाये हैं, ताकि छात्रों व नागरिकों को आत्मघाती कदम उठाने से बचाया जा सके.

जापान : इस एशियाई देश में जहां राष्ट्रीय स्तर पर पर एक प्रशासनिक फोरम है जो आत्महत्या की रोकथाम के लिए काम करता है, वहीं एक कानून भी है. इस कानून के तहत केंद्रीय और स्थानीय सरकारें आत्महत्या की रोकथाम के लिए मिलकर काम करती हैं. किशोरों के लिए और स्कूलों में भी कई कार्यक्रम चलाये जाते हैं.

चीन : हमारे इस पड़ोसी देश में भी आत्महत्या पर रोक के लिए कुछ कानून बने हैं.

अमेरिका : यहां के कई विश्वविद्यालयों में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर अनेक परामर्श सेवाएं हैं, जो समय-समय पर छात्रों का मार्गदर्शन करती हैं. साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर भी कुछ कार्यक्रम संचालित किये जाते हैं.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version