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Mother’s Day : मदर्स डे का आयोजन इस बार तब हो रहा है जब हमारी मातृभूमि पर दुश्मन ने बुरी नजर डाली है. भारतीय संस्कृति में माता और मातृभूमि को सर्वोपरि माना गया है, तब ही तो कहा जाता है-‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’. भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव और भारत माता के सपूत अपनी मां की रक्षा के लिए सीमा पर तैनात हैं. देश में कई ऐसे सपूत हुए, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बलि दी. मदर्स डे के मौके पर हम आज याद करेंगे, उस माता को जिसने मातृभूमि के लिए अद्भुत बलिदान दिया था. उस वीरांगना का नाम था पन्ना धाय.
कौन थी पन्ना धाय
14वीं शताब्दी में पन्ना धाय का जन्म मेवाड़ की राजधानी चित्तौड़ में हुआ था. वह मेवाड़ के राजा राणा संग्राम सिंह के बेटे उदय सिंह की धाय मां थी. धाय मां उस स्त्री को कहते हैं, जो अपना दूध किसी बच्चे को पिलाती है. पन्ना धाय ने राजकुमार उदय सिंह को अपना दूध पिलाया था और उसकी देखभाल करती थी. पन्ना धाय के बारे में यह कहा जाता है कि वह गुर्जर जाति की महिला थी, जिसने अपना सर्वस्व देश के लिए कुर्बान कर दिया था.
पन्ना धाय के त्याग की कहानी
पन्ना धाय राजकुमार उदय सिंह की धाय मां थी. पन्ना का पुत्र भी उदय सिंह की ही उम्र का था. इसी वजह से पन्ना धाय ने राजकुमार उदय सिंह को अपना दूध पिलाया था और उसका लालन-पालन अपने पुत्र की तरह ही करती थीं. राणा सांगा के भाई पृथ्वीराज की दासी का एक पुत्र था बनवीर. उसके मन में राज सिंहासन को लेकर लालच जाग गया था, इसी वजह से उसने राणा सांगा के पुत्रों को मारकर सत्ता पर कब्जा करने का सोचा था. इसी धुन में उसने उदय सिंह को मारने की भी योजना बनाई थी, क्योंकि उदय सिंह सिंहासन के उत्तराधिकारी थे. पन्ना धाय को जब इस बारे में पता चला, तो उसने राज्य के उत्तराधिकारी को बचाने के लिए अद्भुत त्याग किया. पन्ना धाय ने राजकुमार उदय सिंह को एक टोकरी में लिटाकर पत्तों से ढंक कर बाहर कर दिया और अपने बेटे चंदन को जो उसी उम्र का था उदय सिंह की जगह पर लिटा दिया. जब बनवीर उदय सिंह के कमरे में आया और उसके बारे में पूछा, तो पन्ना धाय ने बिस्तर पर लेटे हुए अपने बेटे की ओर इशारा कर दिया. बनवीर ने बिना कुछ सोचे, छोटे से बच्चे को तलवार से काट दिया. पन्ना धाय का अपना बच्चा उसके सामने मारा गया, लेकिन पन्ना धाय ने उफ्फ तक नहीं की. पन्ना धाय के त्याग की वजह से ही मेवाड़ के उत्तराधिकारी उदय सिंह की जान बची थी. पन्ना धाय के त्याग ने मेवाड़ के उत्तराधिकारी की रक्षा की और आगे चलकर उदय सिंह मेवाड़ के राजा बने और उदयपुर की स्थापना की.
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