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Pahalgam Terror Attack: पहलगाम में आतंकवादी हमले के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने तत्काल सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई थी. इस बैठक में सिंधु जल संधि के निलंबन, अटारी-वाघा सीमा बंद करने, सार्क वीज़ा छूट योजना (SYES) का निलंबन व कई कूटनीतिक फैसले लिए थे. जिससे पाकिस्तान जबरदस्त दबाव में आ गया. लेकिन ये पहला मौका नहीं था जब कैबिनेट सुरक्षा समिति ने देश पर हुए हमले के बाद इस तरह पाकिस्तान कूटनीतिक हमला किया. जब-जब देश की सुरक्षा पर आंच आई इस समिति ने दुश्मन देश को माकूल जवाब दिया.
कब बनी कैबिनेट सुरक्षा समिति (CCS)
कैबिनेट सुरक्षा समिति (CCS) सबसे पहले 1947 में बनाई गई थी. पहली बार स्वतंत्र भारत में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने किया था. जिसका उद्देश्य भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य स्थितियों का आकलन करके उसका समाधान निकालना था. इस समिति की पहली आपातकालीन बैठक भारत-पाक युद्ध के दौरान 1947-48 बुलाई गई थी. इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने की थी. गृह मंत्री सरदार पटेल और रक्षा मंत्री बलदेव सिंह इसके सदस्य थे. 1999 के कारगिल युद्ध के बाद समिति का वर्तमान स्वरूप सामने आया था. उस दौरान रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय समिति बन गई. इसी के साथ सीसीएस (CCS) भारत सरकार के आंतरिक और बाहरी सुरक्षा मामलों से महत्वपूर्ण संस्था के रूप में विकसित हुई.
प्रधानमंत्री अध्यक्ष
कैबिनेट सुरक्षा समिति (Cabinet Committee on Security) में प्रधानमंत्री अध्यक्ष, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री और विदेश मंत्री इसके सदस्य होते हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) समन्वयक के रूप में कार्य करते हैं. अन्य सदस्यों को आवश्यकतानुसार शामिल किया जाता है. कैबिनेट सचिवालय सीसीएस की सभी बैठकों और कार्यवाहियों का रिकॉर्ड रखता है. इस समित का कार्य रक्षा, विदेशी मामलों, खुफिया जानकारी, परमाणु मुद्दों, अंतरिक्ष नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित प्रमुख नियुक्तियों से संबंधित संबंधित है. 4 जुलाई 2024 को सीसीएस का पुनर्गठन किया गया था. वर्तमान में इस कैबिनेट सुरक्षा समिति में पीएम नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस जयशंकर शामिल हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, कैबिनेट सचिव टीवी सोमनाथन और रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह को भी सीसीएस की बैठकों में आमंत्रित किया जा सकता है. एएनआई न्यूज एजेंसी के अनुसार सीसीएस की पिछली बैठक 5 अगस्त, 2024 को प्रधानमंत्री के आवास पर बांग्लादेश की स्थिति के बारे में जानकारी देने के लिए आयोजित की गई थी. उस समय बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत में शरण लेने आई थीं.
क्या कार्य करती है CCS
- राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामलों पर निर्णय लेना
- राष्ट्रीय सुरक्षा एवं रक्षा नीति तैयार करना
- सैन्य अभियानों और संकट की स्थिति में प्रतिक्रिया देना
- आतंकवाद, सीमा विवाद, परमाणु रणनीति व अन्य सुरक्षा मामलों पर नीतियां बनाना
- भारत की सुरक्षा को प्रभावित करने वाले अंतर्राष्ट्रीय सौदों और समझौतों पर चर्चा
- रक्षा उत्पादन, अनुसंधान एवं विकास से संबंधित 1000 करोड़ रुपये से अधिक के पूंजीगत व्यय प्रस्तावों पर विचार करना
- राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले राजनीतिक मुद्दों की समीक्षा करना
- राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र के बदलावों का मूल्यांकन
- परमाणु ऊर्जा से संबंधित मामलों पर विचार-विमर्श
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