Table of Contents
- आर्थिक सुधार की कवायद
- स्थानीय नागरिकों को नहीं होगी उपलब्ध
- दो बड़े आयोजन हैं प्रस्तावित
- शराब पीने पर देश निकाले की सजा
- क्यों लगा था शराब पर प्रतिबंध
Saudi Arabia: इस्लामिक रीति-रिवाजों वाले देश सऊदी अरब में 73 साल बाद शराब से पाबंदी हटने जा रही है. एक रिपोर्ट के अनुसार टूरिस्ट इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए ये फैसला किया जा रहा है. साऊदी सरकार विजन 2030 योजना के तहत ये बड़ा बदलाव करने जा रही है. 2026 तक सऊदी अरब की पर्यटकों को आकर्षित करने वाले 600 स्थानों पर शराब बिक्री की अनुमति मिलेगी.
आर्थिक सुधार की कवायद
सऊदी अरब तेल की निर्भरता से स्वयं को निकालकर पर्यटन और वैश्विक निवेश का हब बनाने की दिशा में काम कर रहा है. इसे ही विजन 2030 नाम दिया गया है. पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कड़े कानूनी प्रावधानों के साथ लाइट अल्कोहल ड्रिंक बेचे जाने की योजना पर कार्य चल रहा है. बिक्री के लिए बीयर, वाइन, साइडर आदि ही उपलब्ध रहेंगे. रम, व्हिस्की, वोदका आदि स्ट्रॉन्ग ड्रिंक पहले की तरह ही बैन रहेंगे. शराब की बिक्री केवल फाइव व सेवन स्टार होटल, रिसॉर्ट्स, बड़े पर्यटन केंद्रों व डिप्लोमैटिक जोन में होगी.
स्थानीय नागरिकों को नहीं होगी उपलब्ध
सऊदी अरब अपने नागरिकों और आम जगहों पर शराब की बिक्री को पहले की तरह ही बैन रखेगा. पब्लिक प्लेस, बाजार व घरों में शराब नहीं मिलेगी. कड़े प्रतिबंध के साथ शराब की बिक्री होगी. इसके लिए प्रशिक्षित बार टेंडर होंगे. यदि कहीं भी नियम तोड़ा गया तो सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी.
दो बड़े आयोजन हैं प्रस्तावित
सऊदी अरब में 2030 एक्सपो और32024 में फीफा वर्ल्ड कप प्रस्तावित है. ये दोनों ही बड़े अंतर्राष्ट्रीय आयोजन हैं. इन आयोजनों के लिए मेहमानों को आकर्षित करने के उद्देश्य से सऊदी अरब शराब की बिक्री शुरू करने की तैयारी कर रहा है. दो बड़े आयोजनों से वहां लाखों पर्यटक पहुंचेंगे और होटल इंडस्ट्री से लेकर सभी तरह के रोजगार के अवसर बढ़ेंगे.
शराब पीने पर देश निकाले की सजा
सऊदी अरब शरीयत को मानने वाला देश हैं. वहां शराब पर प्रतिबंध है. यदि कोई शराब का आयात व पीते हुए पकड़ा जाता है तो उसके लिए कठोर सजा देने का कानून है. प्रतिबंध तोड़ने पर आरोपी को कोड़े मारने, देश से निकालने, जुर्माना और कैद की सजा का प्रावधान है.
क्यों लगा था शराब पर प्रतिबंध
1951 में सऊदी अरब के जेद्दा में एक पार्टी हुई थी. इसमें कई देशों के डिप्लोमेट्स भी शामिल हुए थे. इसमें शाही परिवार के सदस्य किंग अब्दुल अजीज के बेटे प्रिंस मिशारी बिन अब्दुल अजीज ने एक डिप्लोमेट की गोली मारकर हत्याकर दी थी. इस मामले में प्रिंस को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. इसके बाद 1952 में सऊदी अरब में शराब पर पूरी तरह से प्रतिबंधन लगा दिया गया था. हालांकि डिप्लोमैट्स को शराब आयात करने की अनुमति दी गई थी. इसके तहत डिप्लोमैट्स सीलबंद पैकेट में शराब आयात कर सकते हैं. इसे डिप्लोमैटिक पाउच भी कहा जाता है. इसके अलावा रियाद में डिप्लोमैट्स व गैर मुस्लिम प्रवासियों के लिए एक शराब की दुकान का खोलने की बात भी कही गई थी.
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