Table of Contents
- क्या था बाटला हाउस एनकाउंटर
- बाटला हाउस एनकाउंटर को बताया गया फर्जी
- सोनिया गांधी की क्या थी प्रतिक्रिया
- बीजेपी का कैसा था रुख
Sonia Gandhi : ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में बहस के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर हमला किया और कहा कि कांग्रेस वाले वर्षों से आतंकियों के प्रति सहानुभूति रखते हैं. उन्होंने बाटला हाउस एनकाउंटर की चर्चा करते हुए कहा कि मैंने टीवी पर सुना था कि कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद यह कह रहे थे कि मैंने जब बाटला हाउस एनकाउंटर की तस्वीर सोनिया गांधी को दिखाई, तो वे रो पड़ीं थीं. अमित शाह ने कहा कि मैं इनसे पूछना चाहता हूं कि आपको आतंकियों के लिए क्यों रोना आता है शहीद मोहन शर्मा के लिए क्यों नहीं रोना आता है. अमित शाह की इस टिप्पणी पर कांग्रेस की ओर से प्रियंका गांधी ने जवाब दिया और कहा कि मेरी मां के आंसुओं की बात हुई है, मैं यह बताना चाहती हूं कि मेरी मां के आंसू तब गिरे थे जब मेरे पिता आतंकवादी घटना में मारे गए थे. प्रियंका गांधी ने सोनिया गांधी के आंसुओं पर तो बात की, लेकिन उन्होंने इस बात से इनकार नहीं किया कि उनकी मां बाटला हाउस एनकाउंटर पर रोईं थीं.
क्या था बाटला हाउस एनकाउंटर
बाटला हाउस एनकाउंटर 19 सितंबर 2008 को हुआ था. इस घटना में दिल्ली पुलिस और कुछ संदिग्ध आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ हुई थी. इस मुठभेड़ में दो आतंकी मारे गए थे और एक पुलिस अधिकारी शहीद हुआ था. यह घटना दिल्ली के जामिया नगर स्थित बाटला हाउस में हुई थी. यह घटना सुबह के वक्त हुई थी, जिसकी वजह यह थी कि 13 सितंबर को दिल्ली में कई बम धमाके हुए थे. इन धमाकों में 30 लोग मारे गए थे, पुलिस को यह सूचना मिली थी कि इन बम धमाकों से संबंधित इंडियन मुजाहिदीन के कुछ आतंकी बाटला हाउस में छिपे हुए हैं. पुलिस ने वहां दबिश थी जिसकी वजह से आतंकियों ने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी. इस एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के अधिकारी मोहन शर्मा शहीद हो गए थे. इस मुठभेड़ में दो आतंकी आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद मारे गए थे, जबकि जीशान को गिरफ्तार किया गया था. इस एनकाउंटर में दो आतंकी सैफ मोहम्मद और आरिज खान भागने में सफल रहा था. इस मुठभेड़ के दौरान स्थानीय लोगों की गिरफ्तारी हुई थी, जिसका विरोध राजनीतिक दलों और जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों ने किया था.
बाटला हाउस एनकाउंटर को बताया गया फर्जी
बाटला एनकाउंटर पर देश में राजनीति शुरू हो गई थी और इस एनकाउंटर को फर्जी बताया गया था. राम विलास पासवान, दिग्विजय सिंह और लालू यादव जैसे बड़े नेताओं ने इस एनकाउंटर को फर्जी बताया और इसकी जांच की मांग शुरू की थी. इसे फर्जी बताए जाने के पीछे वजह थी कि 13 सितंबर को दिल्ली में बम धमाके हुए और 19 को ही आतंकियों की पहचान करके बता दी गई और एनकाउंटर हुआ. साथ ही यह भी कहा जाता है कि जो आतंकी मारे गए उनके पीठ पर गोली लगी थी, जबकि एकाउंटर हुआ था तो आमने-सामने से गोली मारी गई होगी. इंस्पेक्टर मोहन शर्मा के बारे में भी यह कहा जाता है कि वे बिना बुलेटप्रूफ जैकेट के वहां क्यों गए थे, जबकि उन्हें पता था कि उनका सामना आतंकियों से होने वाला था. इंस्पेक्टर मोहन शर्मा को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट भी कहा जाता है और उनके नेतृत्व में ही सात सदस्यीय स्पेशल टीम बाटला हाउस गई थी.
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सोनिया गांधी की क्या थी प्रतिक्रिया
बाटला हाउस एनकाउंटर के वक्त केंद्र और दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थी और सोनिया गांधी यूपीए की चेयरपर्सन थीं. बाटला हाउस एनकाउंटर पर उनके रोने की खबरें सामने आईं थीं, लेकिन उन्होंने खुद सामने आकर कभी भी इस बारे में बात नहीं की है. कुछ कांग्रेसी नेताओं ने इस बारे में जरूर कहा, लेकिन सोनिया गांधी ने ना तो इस बात को स्वीकार किया और ना ही इससे इनकार किया है.
बीजेपी का कैसा था रुख
बीजेपी खुद को राष्ट्रवादी पार्टी बताती है, इसलिए जब बाटला हाउस एनकाउंटर की खबर आई, तो उसने इसे सही बताया था और इसके समर्थन में आ गई थी. बीजेपी ने इस एनकाउंटर को दिल्ली पुलिस की साहसिक कार्रवाई बताया था. बीजेपी ने कांग्रेस की इस बात को लेकर आलोचना की थी कि वो मुस्लिम तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति के लिए बाटला हाउस एनकाउंटर और पुलिस के बलिदान को सवालों के घेरे में ला रही है.
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