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Yashasvi Solanki: भारत के राष्ट्रपति के पास पांच एडीसी (President Aide-de-Camp) होते हैं. जिनमें तीन सेना, एक नौसेना और एक वायुसेना से तैनाती की जाती है. भारतीय नौसेना की लेफ्टिनेंट कमांडर यशस्वी सोलंकी को इन्हीं में से एक महिला एड-डी-कैंप (ADC) बनने का गौरव हासिल हुआ है. भारतीय नौसेना की लेफ्टिनेंट कमांडर यशस्वी सोलंकी लॉजिस्टिक ब्रांच में सेवाएं दे रही थीं. 2012 में शॉर्ट सर्विस कमीशन से भारतीय नौसेना में उनका चयन हुआ था.
9 मई को मिला नियुक्ति पत्र
यशस्वी सोलंकी को 9 मई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में नियुक्ति पत्र दिया. एडीसी का चुनाव राष्ट्रपति स्वयं करती हैं. इसमें शारीरिक फिटनेस, बुद्धिमत्ता और परिस्थितियों के अनुकूल ढलने जैसे मानदंडों का परखा जाता है. 173 सेंटीमीटर लंबाई वाली यशस्वी के चरखी दादरी की निवासी हैं. उनक पिता शिक्षक हैं. यशस्वी बैडमिंटन और वॉलीबॉल भी खेलती रही हैं. उनकी तैनाती तीन साल के लिए हुई है.
एडीसी का कार्य क्या हैं?
राष्ट्रपति की एडीसी के पास कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां होती हैं. एडीसी राष्ट्रपति की निजी सैन्य सहायक होती है. वह राष्ट्रपति के साथ सभी आधिकारिक और कूटनीतिक कार्यक्रमों में मौजूद रहते हैं. उनका मार्गदर्शन और सहयोग करते हैं. उनसे मिलने वालों लोगों के भी समन्वय का कार्य भी एडीसी करते हैं. सरकार और सशस्त्र बलों के बीच संवाद में मदद करते हैं.
यह भी बन चुकी हैं एडीसी
लेफ्टिनेंट कमांडर यशस्वी सोलंकी राष्ट्रपति की पहली महिला एडीसी बनी हैं. जो कि सेना की सर्वोच्च कमांडर हैं. लेकिन उनसे पहले कई अन्य महिला अधिकारी भी कई महत्वपूर्ण अधिकारियों की एडीसी बन चुकी हैं. 2019 में लेफ्टिनेंट गनीवी लालजी आर्मी कमांडर की एडीसी बनी थीं. स्क्वाड्रन लीडर मनीषा पढ़ी मिजोरम के राज्यपाल की एडीसी बनायी गई थीं. यशस्वी सोलंकी को देश की राष्ट्रपति की एडीसी बनने का गौरव मिला है.
महिला शक्ति का सम्मान
पहलगाम हमले के बाद भारत ने आतंकवादी अड्डों को ध्वस्त करने के लिए ऑपरेशन सिंदूर चलाया था. ऑपरेशन सिंदूर में हुई कार्रवाई की जानकारी मीडिया को देने के लिए सरकार ने कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह की तैनाती की थी. दो महिला अधिकारियों ने जिस तरह से सैन्य कार्रवाई की जानकारी मीडिया और देश को दी, उसे आज भी सराहा जा रहा है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ही यशस्वी सोलंकी को राष्ट्रपति के एडीसी के रूप में तैनात किया गया था.
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