जो मैथिल अपनी कुलदेवी दुर्गा की आराधना अपनी मातृभाषा छोड़कर दूसरी भाषा में करते हों वह मातृभाषा का क्या सम्मान करेगा? वह क्या देवी की आराधना करेंगें? जिस भूमि के लोगों की अपनी कुलदेवी को पंजाबी, छपरिया भाषी बना दिया हो वह क्या अपने संस्कृति, भाषा और अलग पहचान की लड़ाई लड़ेगा. मैं किसी भाषा के विरोध में नहीं हूं मैं भाषा और संगीत के नाम पर अपशिष्ट उपसर्जन के खिलाफ हूं जिसे आप प्रसाद मान सेवन कर रहे हैं. और अगर मेरी मातृभूमि से मेरी ही मातृभाषा गायब होने लगे वहां पर मुझे अपना विरोध दर्ज कराने का अधिकार है.
संबंधित खबर
और खबरें