‘सपने सच होते हैं’- 3 : पत्रकारों में होती है खबर खोजने की अद्भुत क्षमता
पत्रकारों में खबर को सूंघने की अद्भुत क्षमता होती है, इसी क्षमता की बदौलत वे खबरों को जल्द से जल्द सामने लेकर आते हैं. ‘सपने सच होते हैं’ किताब के तीसरे भाग में डॉ संतोष तिवारी ने पत्रकारों की इसी खूबी का बखान किया है. लेखक लंबे समय तक देश के प्रतिष्ठित हिंदी अखबारों में […]
By Prabhat Khabar Digital Desk | October 9, 2017 12:26 PM
पत्रकारों में खबर को सूंघने की अद्भुत क्षमता होती है, इसी क्षमता की बदौलत वे खबरों को जल्द से जल्द सामने लेकर आते हैं. ‘सपने सच होते हैं’ किताब के तीसरे भाग में डॉ संतोष तिवारी ने पत्रकारों की इसी खूबी का बखान किया है. लेखक लंबे समय तक देश के प्रतिष्ठित हिंदी अखबारों में पत्रकार रहे. आज पढ़ें किताब की अगली कड़ी:-
जिस तरह से कुत्ते में सूंघने की शक्ति बहुत तेज होती है. उसी प्रकार पत्रकारों में खबर खोजने की शक्ति भी बहुत तेज होती है. शायद इसलिए पत्रकारों को अंग्रेजी में ‘वाचडाग’ कहते हैं. मैंने जीवन का बहुत लंबा समय पत्रकारिता के क्षेत्र में गुजारा है. बात वर्ष 1989 की है. मैं उन दिनों नवभारत टाइम्स, लखनऊ, में काम करता था. वह इंटरनेट और मोबाइल युग के पहले का जमाना था. बीएसएनएल. का लैंडलाइन फोन लगवाने के लिए एक लंबी प्रतीक्षा सूची हुआ करती थी. आवेदन पत्र देने के दो-तीन साल बाद फोन कनेक्शन मिल पाता था.