जब चांद का धीरज छूट गया…

दीपावली खुशियों का त्यौहार है. इस अवसर पर लोग खुशियां बांटते हैं. साहित्य में कविता एक ऐसी विधा है, जिसमें बहुत कुछ ऐसा कह दिया जाता, जिसे अन्य किसी विधा में कहना मुश्किल है. प्रस्तुत है ऐसी ही एक कविता, जिसमें चांद और भगवान राम का संवाद दर्शाया गया है, जिसमें चांद श्रीराम से अपनी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 17, 2017 3:41 PM
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दीपावली खुशियों का त्यौहार है. इस अवसर पर लोग खुशियां बांटते हैं. साहित्य में कविता एक ऐसी विधा है, जिसमें बहुत कुछ ऐसा कह दिया जाता, जिसे अन्य किसी विधा में कहना मुश्किल है. प्रस्तुत है ऐसी ही एक कविता, जिसमें चांद और भगवान राम का संवाद दर्शाया गया है, जिसमें चांद श्रीराम से अपनी शिकायत दर्ज करा रहा है कि आखिर दीवाली अमावस की रात को क्यों मनायी जाती है.

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