13 जून मेहदी हसन की पुण्यतिथि : आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ !

-ध्रुव गुप्त-... भारतीय उपमहाद्वीप के महानतम गायकों में एक ‘शहंशाह-ए-ग़ज़ल’ मेहदी हसन ने अपनी भारी, गंभीर और रूहानी आवाज़ में मोहब्बत और दर्द को जो गहराई दी थी, वह ग़ज़ल गायिकी के इतिहास की सबसे दुर्लभ घटना थी. वे ग़ज़ल गायिकी के वह शिखर रहे हैं जिसे उनके बाद का कोई भी गायक अब तक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 13, 2018 7:22 AM
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-ध्रुव गुप्त-

पाकिस्तान सरकार ने उन्हें ‘तमगा-ए-इम्तियाज़’ और भारत सरकार ने ‘के.एल. सहगल संगीत शहंशाह सम्मान’ से नवाज़ा. मेहदी हसन के गाए कुछ कालजयी गीत, ग़ज़लें और नज़्में हैं – ज़िंदगी में तो सभी प्यार किया करते हैं, बहुत खूबसूरत है मेरा सनम, नवाजिश करम शुक्रिया मेहरबानी, ख़ुदा करे कि मोहब्बत में वो मक़ाम आए, किया है प्यार जिसे हमने ज़िंदगी की तरह, अबके हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें, रंज़िश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ, पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है, बात करनी मुझे मुश्क़िल कभी ऐसी तो न थी, भूली बिसरी चंद उम्मीदें, यारों किसी क़ातिल से कभी प्यार न मांगो, मोहब्बत करने वाले कम न होंगे, मैं ख़्याल हूं किसी और का, हमें कोई ग़म नहीं था गमे आशिक़ी से पहले, एक बस तू ही नहीं मुझसे खफ़ा हो बैठा, एक बार चले आओ, ये धुआं सा कहां से उठता है, दिल में अब यूं तेरे भूले हुए ग़म आते हैं, आए कुछ अब्र कुछ शराब आए आदि.

लगभद पांच दशक तक गायिकी में सक्रिय रहने के बाद गले में कैंसर की वज़ह से मेहदी हसन ने 1999 से गाना छोड़ दिया था. उसके सालों बाद चाहने वालों की बेहिसाब ज़िद के बाद ‘सरहदें’ नाम से उनका अंतिम अलबम 2010 में आया. लंबे अरसे के बाद आए उनके इस रिकॉर्ड ने लोकप्रियता का शिखर छुआ था. उनकी एक दिली ख्वाहिश लता मंगेशकर के साथ ग़ज़लों का एक अलबम तैयार करने की थी. रिकॉर्डिंग की तमाम तैयारिया मुकम्मल थी, लेकिन गंभीर बीमारी की वज़ह से उनका यह सपना अधूरा रह गया. उनके आखिरी अलबम ‘सरहदें’ में फरहत शहजाद की एक ग़ज़ल ‘तेरा मिलना बहुत अच्छा लगे है’ की रिकार्डिंग उन्होंने 2009 में पाकिस्तान में की और उस ट्रेक को सुनकर 2010 में लता जी ने अपने हिस्से की रिकार्डिंग मुंबई में की. इस तरह दोनों का एक युगल गीत तैयार हुआ.
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