कवि गोपाल दास नीरज को श्रद्धांजलि

गुलाब एक किताब से,... आज गिर पड़ा यहां. गंध सब सिमट गयी, राह भी तो बंट गयी. हम सभी खड़े रहे, और वह गुजर गया. साहित्य का चिराग फिर, आज एक बुझ गया. नेह का सिरा कहां, कैसे कब उलझ गया. हम छोर ढूंढते रहे, और वह सुलझ गया. जिंदगी की ठांव से, इस शहर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 24, 2018 10:56 AM
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गुलाब एक किताब से,

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