कवि प्रदीप की जयंती : सूरज रे जलते रहना !

-ध्रुव गुप्त-... हिंदी कविता और हिंदी सिनेमा में भी देशभक्ति और मानवीय मूल्यों का अलख जगाने वाले गीतकारों में कवि स्व प्रदीप उर्फ़ रामचंद्र नारायणजी द्विवेदी का बहुत ख़ास मुक़ाम रहा है. वे अपने दौर में हिंदी कविता और कवि सम्मेलनों के नायाब शख्सीयत रहे हैं. उनकी जनप्रियता ने सिनेमा के लोगों का ध्यान उनकी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 6, 2019 11:06 AM
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-ध्रुव गुप्त-

इस गीत के लिए तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने उनकी गिरफ्तारी के आदेश दिया था जिसकी वज़ह से प्रदीप को अरसे तक भूमिगत होना पड़ा था. उसके बाद के पांच दशकों में प्रदीप ने इकहतर फिल्मों के लिए सैकड़ों गीत लिखे जिनमें कुछ बेहद लोकप्रिय गीत हैं – ऐ मेरे वतन के लोगों ज़रा आंख में भर लो पानी, चल चल रे नौजवान, हम लाए हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के, दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिंदुस्तान हमारा है, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल, आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिंदुस्तान की, देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान, बिगुल बज रहा आज़ादी का, आज के इस इंसान को ये क्या हो गया, ऊपर गगन विशाल, चलो चलें मां सपनों के गांव में, तेरा मेला पीछे छूटा राही चल अकेला, अंधेरे में जो बैठे हैं ज़रा उनपर नज़र डालो, दूसरों का दुखड़ा दूर करने वाले, इंसान का इंसान से हो भाईचारा यही पैगाम हमारा, सूरज रे जलते रहना, मुखड़ा देख ले प्राणी जरा दर्पण में, तेरे द्वार खड़ा भगवान, पिंजरे के पंछी रे तेरा दरद न जाने कोय.

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