गोखले ने एक बयान में कहा कि जब आप धन अथवा प्रकाशित होने की लालसा के बिना अपने सुख के लिए लिखते और अनुवाद करते हुए अपनी ही दुनिया में खोये हों, तब आप दूसरों की उम्मीदों पर खरे उतरते हैं. वह कितना सुखद और प्रसन्नता देने वाला विचार था. सच्चिदानंदन ने विदेश में कई साहित्यिक सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है और वे कई साहित्यिक संस्थानों के अध्यक्ष भी रहे हैं. उन्हें 2012 में साहित्य अकादमी पुरस्कार के अतिरिक्त कई पुरस्कार मिल चुके हैं.
सच्चिदानंदन ने टाटा लिटरेचर पुरस्कार मिलने पर प्रसन्नता जाहिर की. उन्होंने कहा कि मैं एक कवि हूं, जो केवल अपनी मातृभाषा मलयालम में लिखता हूं. हालांकि, मेरी अनेक कृतियां अंग्रेजी और कुछ भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में भी प्रकाशित हुई हैं. मुझे खुशी है कि इससे (मेरे जैसे) कवियों को राष्ट्रीय पहचान मिली है, जो प्रायः नहीं मिलती.
गौरतलब है कि टाटा लिटरेचर लाइव मुंबई साहित्य महोत्सव 14 से 17 नवंबर तक आयोजित किया जायेगा. सच्चिदानंदन को 14 नवंबर जबकि गोखले को 17 नवंबर को टाटा लिटरेचर पुरस्कार दिया जायेगा. महोत्सव के संस्थापक और निदेशक अनिल धारकर ने कहा कि साहित्य महोत्सव की 10वीं वर्षगांठ पर गोखले और सच्चिदानंदन को पुरस्कार मिलने से वे गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.