सरहद से सुनो हमारी पुकार,
बिन वर्दी के हैं हम पहरेदार!
ना हथियार, ना ओहदा कोई,
फिर भी जंग लड़ते हैं हम रोज नई।
जब चौकी गिरे, खबर बन जाती,
हमारी लाशें खामोश दफनाई जातीं।
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सरहद से सुनो हमारी पुकार,
बिन वर्दी के हैं हम पहरेदार!
ना हथियार, ना ओहदा कोई,
फिर भी जंग लड़ते हैं हम रोज नई।
जब चौकी गिरे, खबर बन जाती,
हमारी लाशें खामोश दफनाई जातीं।