सद्गुरु स्वामी आनंद जी एक आधुनिक सन्यासी हैं, जो पाखंड के धुरविरोधी हैं और संपूर्ण विश्व में भारतीय आध्यात्म व दर्शन के तार्किक तथा वैज्ञानिक पक्ष को उजागर कर रहे हैं. सद्गुरुश्री के नाम से प्रख्यात कार्पोरेट सेक्टर से अध्यात्म में क़दम रखने वाले यह आध्यात्मिक गुरु नक्षत्रीय गणनाओं तथा गूढ़ विधाओं में पारंगत हैं तथा मनुष्य के आध्यात्मिक, सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक व्यवहार की गहरी पकड़ रखते हैं. आप भी इनसे अपनी समस्याओं को लेकर सवाल पूछ सकते हैं. इसके लिए आप इन समस्याओं के संबंध में लोगों के द्वारा किये गये सवाल के अंत में पता देख सकते हैं….
सवाल- क्या मेरी कुंडली मंगलदोष से ग्रसित है? अगर हां, तो शान्ति कैसे होगी?
जन्मतिथि-18.08. 1991, जन्म समय-07.26, प्रातः, जन्म स्थान- दरभंगा
– श्रेया पाठक
जवाब- सदगुरु श्री कहते हैं कि आपकी राशि वृश्चिक और लग्न सिंह है. आपका भाग्येश और सुखेश मंगल लग्न में आसीन है. लिहाज़ा हां, आप मांगलिक हैं. सामान्य अवधारणा इसे मंगल दोष कहती है, पर मैं मांगलिक होने को मंगल दोष नहीं, मंगल योग मानता हूं. यह ग्रह योग व्यक्ति को बेहतर स्वभाव के साथ बड़ा ह्रदय प्रदान करता है. ऐसे लोग मन के सच्चे होते हैं. यदि ये लोग अपने करियर पर एकाग्रता बनाए रखें तो भविष्य में अमीर और समृद्ध होते हैं. इन्हें राज्य और शासन का पूर्ण सहयोग प्राप्त होता है. यह लोग शत्रुओं को मित्र बना कर उन पर विजय हासिल करने में कुशल होते हैं. मंगलवार को कुत्तों को गुड़ मिश्रित तंदूरी रोटी अर्पित करने से लाभ होगा, ऐसा मैं नहीं पारंपरिक मान्यतायें कहती हैं.
सवाल- जीवन में अकूत धन कब और कैसे मिलेगा?
जन्म तिथि-06.05.1962, जन्म तिथि- 17.21, जन्म स्थान- पटना.
-मयंक पाल
जवाब- अकूत धन से आपका आशय स्पष्ट नहीं है. हर व्यक्ति के लिए समृद्धि का पैमाना अलग अलग है. समृद्धि का अहसास सिर्फ़ और सिर्फ़ संतोष से ही उपजता है. असंतुष्टि अपार धन होने पर भी कमी और अभाव की अनुभूतियों में डुबोए रखती है. मेरी दृष्टि में असंतुष्ट व्यक्ति चाहे वो बड़े से बड़ा धनिक हो, सबसे बड़ा ग़रीब व्यक्ति है. सदगुरुश्री कहते हैं कि आपकी राशि वृष और लग्न तुला है. धनेश मंगल जहां षष्ठ भाव में उत्तम स्थिति में है, वही भाग्येश बुध अष्टम में बैठकर आपको उत्तम योग से विभूषित भी कर रहा है. पर अष्टम का चंद्रमा जहां आपके व्यक्तित्व को अतिविचारशीलता, भावुकता, नाटकीयता, स्वभाव का रूखापन और चिड़चिड़ापन प्रदान कर आत्मकेंद्रित और अलोकप्रिय बना कर आर्थिक स्थिति को प्रभावित कर रहा है, वहीं सप्तम का सूर्य शरीर में आलस्य देकर धन प्राप्ति के मार्ग में अड़ंगा लगा रहा है. साथ में आपका वृहस्पति पंचम में विराज कर अविवेकपूर्ण निर्णय व ग़लतियों की पटकथा तैयार कर रहा है. पर आप स्वयं और स्वयं के स्वभाव पर क़ाबू पाकर परिस्थितियों में सुधार कर सकते हैं. इस समय आप शनि की अढ़ैया के अधीन हैं. यह स्थिति कुछ तनाव पूर्ण है पर आप चिंता न करें. ग़रीबों और कमज़ोरों की सहायता, मांसाहार, मदिरा और असत्य संभाषण का त्याग और काजल का भूमि प्रवाह लाभ होगा, ऐसा मान्यतायें कहती हैं.
सवाल- क्या मेरी कुंडली में प्रशासनिक सेवाओं में सफलता का योग है? सफलता के लिए क्या उपाय करूं, क्या धारण करूं.जन्मतिथि-02.05.1998, जन्म समय-1.24 am, जन्म स्थान-मुंगेर.
– रुपम वर्मा
जवाब- सदगुरुश्री कहते हैं कि आपकी राशि मिथुन और लग्न कुंभ है. आपका पराक्रमेश और कर्मेश मंगल पराक्रम भाव में बैठकर जहां आपके प्रशासनिक सेवाओं में सफलता की संभावना प्रकट रहा है, वहीं लग्न का वृहस्पति उम्मीदों में इज़ाफ़ा भी कर रहा है. पर तुर्रा ये है कि आप शनि की महादशा के अधीन हैं. आपका चयन प्रशासनिक सेवाओं के लिए अवश्य हो सकता है. बस, उसके लिए गहरी एकाग्रता और सामान्य से कुछ ज़्यादा श्रम की दरकार होगी. आप चाहें तो मूंगा रत्न धारण कर सकती हैं. हर शनिवार को बांसुरी में गुड़ भर कर भूमि प्रवाह, नेत्रहीन लोगों की सेवा, भोजन का प्रथम ग्रास अग्नि को अर्पण और देह पर दही के उबटन का लेप लाभ प्रदान करेगा, ऐसा मैं नहीं, मान्यतायें कहती हैं.
सवाल- भद्र योग क्या है। इससे क्या होता है। क्या यह मेरी कुंडली में है.
जन्म तिथि-11.08.1990, जन्म समय- 14.01, जन्म स्थान-सासाराम.
– यश केडिया
जवाब- सदगुरुश्री कहते हैं कि बुध जब स्वघर यानि मिथुन या कन्या में हो तो यह योग भद्र कहलाता है. लग्न, भाग्य, कर्म और लाभ भाव में यह बेहद प्रभावी हो जाता है. इसे उत्तम योग या राज योग कहा जाता है. यह योग प्रचण्ड बुद्धिमत्ता के साथ विनम्रता और व्यवहारिकता प्रदान कर अपार सफलता सुनिश्चित करता है. इस योग के स्वामी जगत में प्रशंसित होकर बड़े पद को सुशोभित करते हैं. आपकी राशि मीन और लग्न वृश्चिक है. बुध आपके कर्म भाव में परम मित्र सूर्य की राशि सिंह में आसीन है. यह स्वयं में उत्तम योग तो है, पर आपकी कुंडली में भद्र योग नहीं है.
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