जीवन में मान-सम्मान पाना है, तो भगवान शिव की करें उपासना

पटना : किसी भी जातक की किस्मत में सरकारी नौकरी है या नहीं या उसके भाग्य में राजयोग है या नहीं, इसकी जानकारी उसकी जन्म कुंडली से मिल सकती है. राज योग का अर्थ राजा बनने से नहीं है, बल्कि मान-सम्मान, यश, पद, प्रतिष्ठा, अर्थ लाभ, तरक्की से है. जिस जन्मकुंडली में तीन या चार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 9, 2019 8:31 AM
an image

पटना : किसी भी जातक की किस्मत में सरकारी नौकरी है या नहीं या उसके भाग्य में राजयोग है या नहीं, इसकी जानकारी उसकी जन्म कुंडली से मिल सकती है. राज योग का अर्थ राजा बनने से नहीं है, बल्कि मान-सम्मान, यश, पद, प्रतिष्ठा, अर्थ लाभ, तरक्की से है. जिस जन्मकुंडली में तीन या चार ग्रह अपने उच्च या मूल त्रिकोण में मजबूत हों तो जातक राजनीति में प्रभावशाली उच्च पद प्राप्त करता है.

कुंडली में पांच या छह ग्रहों के उच्च या मूल त्रिकोण में होने से जातक निर्धन परिवार में जन्म लेने के बाद भी राज्य सुख भोगता है. पाप ग्रहों के उच्च या मूल त्रिकोण में होने पर भी जातक शासन से सम्मान हासिल करता है. यह बातें प्रभात खबर की ओर से आयोजित ज्योतिष काउंसेलिंग में पाठकों के सवालों का जवाब देते हुए डॉ दैवज्ञ श्रीपति त्रिपाठी ने कहीं. उन्होंने कहा कि अगर कुंडली में सभी ग्रह बलवान हो तो जातक की राजनीति में रुचि रहती है. इसी तरह अपने उच्च त्रिकोण अथवा स्व राशि में बैठा हुआ कोई भी ग्रह अगर चंद्रमा को देखता है तो ऐसा जातक राजनीति में सफलता प्राप्त करता है.

राजा का सुख भोगने का मिलता है मौका

अगर किसी जातक की कुंडली में मेष या कन्या लग्न में चंद्रमा, ग्यारहवें भाव में शुक्र और गुरु, मंगल, शनि और बुध ग्रह अपनी-अपनी राशि में स्थित हों तो ऐसा जातक राजा के समान सुख-सुविधाएं भोगता है और जीवन में उसे अभावों का सामना भी नहीं करना पड़ता है. जन्म कुंडली में मकर लग्न में शनि, मीन राशि में चंद्रमा, मिथुन राशि में मंगल, कन्या राशि में बुध तथा धनु राशि में गुरु स्थित हो तो उच्च राजयोग होने से जातक प्रभावशाली शासनाधिकारी होता है. लग्न में शनि और सातवें भाव में गुरु होने के साथ-साथ अगर गुरु पर शुक्र की दृष्टि भी हो तो ऐसा जातक उत्तम नेतृत्व क्षमता वाला होता है. कुंडली में सभी ग्रह 9वें अथवा 11वें भाव में बैठे हो ऐसी कुंडली चक्र योग वाली होती है. इसके अलावा कुंडली में एक राशि के अंतर से छह राशियों में सभी ग्रह स्थित हों तो कुंडली कलश योग वाली होती है. इस प्रकार कुंडली के जातक राजनीति में उच्च पद प्राप्त करते हैं. कुंडली में वृष राशि में स्थित चंद्रमा पर गुरु की दृष्टि होने से जातक को राजनीति में विशेष स्थान हासिल होता है. इसी तरह तुला राशि में शुक्र, मेष राशि में मंगल और कर्क राशि में गुरु बैठे हों जातक जीवन में यथोचित मान-सम्मान, यश, पद और अन्य लाभ प्राप्त करता है.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version