आज हनुमान जयंती के शुभ अवसर पर करें इस चालीसा का पाठ, बजरंग बली हर दुख करेंगे दूर

Hanuman Chalisa Path on Hanuman Jayanti 2025: हनुमान जयंती का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व है. इस वर्ष हनुमान जयंती का उत्सव 12 अप्रैल को मनाया जाएगा. इसके साथ ही, यह भी ज्ञात हो कि हनुमान जयंती के अवसर पर हनुमान चालीसा का पाठ करना बहुत लाभकारी माना जाता है.

By Shaurya Punj | April 12, 2025 6:59 AM
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Hanuman Chalisa Path on Hanuman Jayanti 2025: आज 12 अप्रैल 2025 को हनुमान जयंती का उत्सव मनाया जा रहा है. चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था, इसलिए हर वर्ष इस तिथि को हनुमान जयंती मनाई जाती है. आज भक्तों ने उपवास रखा है। मंदिरों और घरों में हनुमान जी की आराधना की जा रही है. हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए लोग हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे हैं. हनुमान जयंती के पावन अवसर पर हनुमान चालीसा का पाठ करना अत्यंत शुभ और फलदायक माना जाता है. आइए श्रद्धा और भक्ति के साथ श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें:

॥ श्री हनुमान चालीसा ॥

(रचयिता: गोस्वामी तुलसीदास जी)

दोहा

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि॥

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चौपाई

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर॥
राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥

महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुण्डल कुंचित केसा॥

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
काँधे मूँज जनेऊ साजै॥
संकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग वंदन॥

विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे।
रामचन्द्र के काज सँवारे॥

लाय सजीवन लखन जियाए।
श्री रघुबीर हरषि उर लाए॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा॥

तुम्हरो मन्त्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥

राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना॥

आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक तें काँपै॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै॥

नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥

सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा॥
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै॥

चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥

अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥

तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥
अंतकाल रघुबरपुर जाई।
जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई॥

और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥

दोहा

जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥
जो शत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महासुख होई॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥

॥ दोहा ॥

पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥

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