Ahoi Ashtami 2024: आज अहोई अष्टमी पर संतान की लंबी उम्र के लिए करें विशेष पूजा

Ahoi Ashtami 2024: अहोई अष्टमी एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार, यह त्योहार कार्तिक मास में मनाया जाता है. इस वर्ष यह व्रत 24 अक्टूबर को आयोजित किया जाएगा. माताएं अपने बच्चों के स्वास्थ्य और दीर्घकालिक जीवन के लिए इस व्रत का पालन करती हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सनातन धर्म में अहोई अष्टमी का पर्व संतान की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए समर्पित है.

By Shaurya Punj | October 24, 2024 8:36 AM
an image

Ahoi Ashtami 2024: अहोई अष्टमी का व्रत खासतौर पर माताओं के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व होता है, जिसमें वे अपनी संतान की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना के लिए व्रत रखती हैं। यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है.इस दिन माताएं निर्जल (बिना पानी के) व्रत रखती हैं और रात को तारों को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण करती हैं.अहोई अष्टमी को कुछ स्थानों पर “अहोई आठे” के नाम से भी जाना जाता है.

अहोई अष्टमी 2024 आज

इस साल अहोई अष्टमी आज 24 अक्टूबर 2024, गुरुवार के दिन मनाई जा रही है. इस दिन अहोई माता के साथ-साथ स्याही माता की भी पूजा की जाती है.

Guru Pushya Nakshatra 2024: गुरु पुष्य नक्षत्र के प्रभाव से इन राशियों को मिलेगा लाभ

अहोई अष्टमी 2024 के शुभ मुहूर्त

कार्तिक कृष्ण अष्टमी प्रारंभ: 24 अक्टूबर 2024, रात 1:08 बजे
कार्तिक कृष्ण अष्टमी समाप्त: 25 अक्टूबर 2024, रात 1:58 बजे
पूजन का समय: 24 अक्टूबर, शाम 5:42 बजे से 6:59 बजे तक
तारे देखने का समय: 24 अक्टूबर, शाम 6:06 बजे
चंद्रमा को अर्घ्य देने का समय: 24 अक्टूबर, रात 11:55 बजे

अहोई अष्टमी पूजन विधि

अहोई अष्टमी के दिन माताएं सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करके अपने व्रत का संकल्प लेती हैं

इसके बाद, मंदिर जाकर या घर में ही धूप-दीप जलाकर, फलों और फूलों के साथ पूजा की जाती है.

पूजा में चावल, रोली (कुमकुम) और दूध का विशेष महत्व होता है.

कई जगहों पर चांदी की अहोई की आकृति (स्याऊ) बनाई जाती है, जिसे पूजन के बाद धागे में पिरोकर दो मोतियों के साथ पहना जाता है.

अहोई माता के साथ-साथ माता सई को हलवा और सात दूब (घास की पत्तियां) अर्पित की जाती हैं.

अंत में अहोई माता की आरती करके, करवा या कलश में जल भरकर तारों या चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है, जिसके बाद व्रत खोला जाता है.

इस कठिन व्रत को रखने वाली माताएं अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य और समृद्ध जीवन की कामना करती हैं और यही इसे खास बनाता है.

जन्मकुंडली, वास्तु, तथा व्रत त्यौहार से सम्बंधित किसी भी तरह से जानकारी प्राप्त करने हेतु दिए गए नंबर पर फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते है .

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version