Akshaya Tritiya 2025 कल, इस दिन शुभ कार्यों के लिए पंचांग देखने की जरूरत नहीं

Akshaya Tritiya 2025: अक्षय तृतीया का दिन किसी भी प्रकार के शुभ कार्य या नए कार्य की शुरुआत के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. यह मान्यता है कि इस दिन गृह प्रवेश करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है. यदि शादी का कोई मुहूर्त नहीं निकल रहा हो, तो इस दिन बिना किसी संकोच के विवाह किया जा सकता है.

By Shaurya Punj | April 29, 2025 9:00 AM
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Akshaya Tritiya 2025: शास्त्र में अक्षय तृतीया को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है. स्वयंसिद्ध मुहूर्त तिथि उसे कहते हैं जिसमें किसी भी तरह के शुभ कार्य को सपंन्न करने के लिए मुहूर्त पर विचार नहीं किया जाता. इस दिन किये जाने वाले शुभ कार्यों के लिए न तो किसी पंचांग को देखने की आवश्यकता होती है और न ही किसी पंडित वगैरह से शुभ मुहूर्त निकलवाने की आवश्यकता होती है. शुभ कार्य के लिए यह तिथि बेहद खास होती है. आज के दिन दान और शुभ कार्य करने पर अक्षय फल की प्राप्ति होती है. अक्षय तृतीया के दिन मांगलिक कार्य जैसे-विवाह, गृहप्रवेश, व्यापार अथवा उद्योग का आरंभ करना अति शुभ फलदायक होता है.

वैशाखे मासि राजेन्द्र! शुक्लपक्षे तृतीयिका.
अक्षया सा तिथिः प्रोक्ता कृत्तिकारोहिणीयुता.
तस्यां दानादिकं सर्व्वमक्षयं समुदाहृतमिति

शुभ योगों में मनेगी अक्षय तृतीया, ऋद्धि-वृद्धि का शुभ संदेश

वैशाख मास की कृत्तिका/रोहिणी युक्त शुक्ल तृतीया अक्षय तृतीया कहलाती है. ‘अक्षय’ शब्द का मतलब है- जिसका क्षय या नाश न हो. इस दिन किया हुआ जप, तप, ज्ञान तथा दान अक्षय फल देने वाला होता है, अतः इसे ‘अक्षय तृतीया’ कहते हैं.

न माधव समो मासो न कृतेन युगं समम्.
न च वेद समं शास्त्रं न तीर्थ गंगयां समम्..

अर्थात- वैशाख के समान कोई मास नहीं है, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं हैं, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है. उसी तरह अक्षय तृतीया के समान कोई तिथि नहीं है.

अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 29 अप्रैल को शाम 05 बजकर 31 मिनट से प्रारंभ होगी और अगले दिन 30 अप्रैल को दोपहर 02 बजकर 12 मिनट पर समाप्त होगी. सनातन धर्म में सूर्योदय तिथि का विशेष महत्व है. इस प्रकार, इस वर्ष 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा. अक्षय तृतीया के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 41 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक है. इस समय के दौरान साधक किसी भी समय पूजा-अर्चना कर सकते हैं.

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