Bada Mangal 2025 : ज्येष्ठ में ही क्यों खास होता है बड़ा मंगल? पढ़ें आध्यात्मिक वजह

Bada Mangal 2025 : बड़ा मंगलवार ज्येष्ठ महीने में विशेष रूप से मनाया जाता है, और इसके पीछे धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से कई गहरे कारण हैं.

By Ashi Goyal | May 12, 2025 10:14 PM
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Bada Mangal 2025 : बड़ा मंगलवार ज्येष्ठ महीने में विशेष रूप से मनाया जाता है, और इसके पीछे धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से कई गहरे कारण हैं. नीचे दिए गए बिंदुओं में इस पर्व की खासियत को समझाया गया है:-

– श्री हनुमान जी का विशेष माह

ज्येष्ठ मास को भगवान हनुमान जी से विशेष रूप से जुड़ा माना जाता है. यह विश्वास है कि इस माह में किए गए हनुमान पूजन और व्रत का फल कई गुना अधिक मिलता है.

– हनुमान जी की कृपा प्राप्ति का उत्तम समय

ज्येष्ठ की गर्मी में जब मानव जीवन कठिन हो जाता है, तब भक्त भगवान हनुमान से बल, धैर्य और ऊर्जा की कामना करते हैं. यह समय हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त करने का माना जाता है.

– लखनऊ और उत्तर भारत में परंपरा

उत्तर भारत, विशेषकर लखनऊ में बड़ा मंगल का आयोजन विशेष धूमधाम से होता है. यह परंपरा नवाबों के समय से चली आ रही है जब एक नवाब की पत्नी ने हनुमान जी से मन्नत मांगी थी और पूरी होने पर विशाल भंडारे का आयोजन किया गया.

– मंगलवार को हनुमान जी का दिन माना जाता है

सप्ताह के सात दिनों में मंगलवार को भगवान हनुमान जी का दिन माना गया है. इसी कारण ज्येष्ठ के हर मंगलवार को ‘बड़ा मंगल’ के रूप में मनाया जाता है.

– भक्ति, सेवा और दान का पर्व

इस दिन मंदिरों में विशेष पूजन, हवन, कथा और विशाल भंडारे होते हैं. लोग गरीबों को भोजन कराते हैं, जलपान की व्यवस्था करते हैं – इसे सेवा धर्म का प्रमुख उदाहरण माना जाता है.

– ताप से राहत की प्रार्थना

ज्येष्ठ मास में पड़ने वाली भीषण गर्मी से राहत के लिए भी भक्त हनुमान जी से प्रार्थना करते हैं. ऐसा विश्वास है कि उनकी कृपा से शारीरिक और मानसिक शांति मिलती है.

– रोग और संकट से रक्षा

हनुमान जी को संकटमोचन कहा गया है. ज्येष्ठ में व्रत और पूजा करने से रोग, भय और सभी प्रकार के संकट दूर होते हैं.

– चिरंजीवी की पूजा का विशेष महत्व

हनुमान जी चिरंजीवी (अजर-अमर) हैं, और उनकी पूजा से आयु, स्वास्थ्य और शक्ति में वृद्धि होती है. यह कारण भी है कि ज्येष्ठ मास का बड़ा मंगल अत्यंत शुभ माना जाता है.

– जनता का जनोत्सव

यह पर्व केवल धार्मिक नहीं, सामाजिक एकता का भी प्रतीक है. सभी धर्म और वर्ग के लोग इसमें भाग लेते हैं और सामूहिक रूप से भंडारे, पूजा और सेवा करते हैं.

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