चैती छठ पूजा में जरूर करें इन चीजों का उपयोग, बनेंगे सारे काम

Chaiti Chhath Puja Samagri List : चैती छठ पूजा इस साल 2025 में 1 अप्रैल 2025 से शुरू होगा. चार दिनों तक चलने वाले चैती छठ व्रत की शुरुआत नहाय खाय के साथ होती है. इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं स्नान करके नए वस्त्र धारण करती हैं और पूजा करती हैं. आइए जानते हैं छठ पूजा में आवश्यक सामग्री की सूची.

By Shaurya Punj | March 20, 2025 2:52 PM
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Chaiti Chhath Puja 2025 Samagri List: चैती छठ पूजा का आरंभ 1 अप्रैल 2025 से होगा. छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया की आराधना का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें भक्त कठोर नियमों का पालन करते हुए उपवास रखते हैं और उगते तथा डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं. इस पूजा में कुछ विशेष वस्तुओं का उपयोग अत्यंत आवश्यक माना जाता है. सही सामग्री के बिना पूजा को अधूरा समझा जाता है. आइए जानते हैं वे मुख्य वस्तुएं, जिनका छठ पूजा में उपयोग अवश्य करना चाहिए.

बांस की टोकरी और सूप

छठ पूजा में बांस की टोकरी और सूप का विशेष स्थान है. इनका उपयोग प्रसाद और पूजा सामग्री रखने के लिए किया जाता है. माना जाता है कि बांस प्राकृतिक तत्वों से निर्मित होता है और यह सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है.

ठेकुआ और अन्य प्रसाद

छठ पूजा में ठेकुआ एक प्रमुख प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है, जो गेंहू के आटे, गुड़ और घी से तैयार किया जाता है. इसके अतिरिक्त, खजूर, चना, नारियल, केला, और मूली भी अर्पित की जाती हैं. ये सभी वस्तुएं पूजा में शुभ मानी जाती हैं.

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गन्ना और फल

गन्ना छठ पूजा के दौरान शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. इसे पूजा स्थल पर स्थापित किया जाता है और अर्घ्य के समय इसका उपयोग किया जाता है. इसके साथ ही, सेब, अनार, संतरा, बेल, शरीफा, और नींबू जैसे फलों को भी चढ़ाया जाता है.

लाल-पीला वस्त्र

छठ पूजा के अवसर पर लाल और पीले रंग के वस्त्र धारण करना बहुत ही शुभ माना जाता है. ये रंग ऊर्जा, सकारात्मकता और समर्पण का संकेत देते हैं.

दीपक और गंगाजल

छठ पूजा में मिट्टी के दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है. यह सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है और वातावरण को शुद्ध करता है. इसके अतिरिक्त, गंगाजल का उपयोग स्नान, प्रसाद और अर्घ्य के लिए किया जाता है.

जल से भरा कांसे या तांबे का लोटा

छठ पूजा में सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के लिए तांबे या कांसे का लोटा उपयोग करना चाहिए. यह धातु सूर्य की ऊर्जा को ग्रहण कर उसे शुद्ध रूप में पुनः भेजने में सहायक होती है.

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