Chaiti Chhath Puja 2025: शुरू होने वाला है चैती छठ का त्योहार, जानें इसका इतिहास

chaiti chhath puja 2025: चैती छठ महापर्व का आगाज 1 अप्रैल से होगा. आइए जानें इसके पीछे का इतिहास.

By Shaurya Punj | March 25, 2025 2:26 PM
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Chaiti Chhath Puja 2025: चैती छठ का त्योहार अपनी अनूठी विशेषताओं के लिए जाना जाता है. इस महापर्व की शुरुआत 5 अप्रैल से होने वाली है. यह पर्व भारत के बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. इसकी लोकप्रियता इतनी है कि इसे भारत के अलावा विदेशों में भी मनाया जाता है. छठ पूजा मुख्यतः सूर्य देवता की पूजा का एक महत्वपूर्ण पर्व है. वर्ष में दो बार छठ महापर्व मनाया जाता है. पहला पर्व चैत्र मास में होता है, जिसे चैती छठ के नाम से जाना जाता है, जबकि दूसरा पर्व कार्तिक मास में आता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, छठ सूर्य देवता की बहन मानी जाती हैं. लोक आस्था का यह महापर्व चैती छठ चार दिनों तक मनाया जाता है. छठ व्रत की परंपरा ऋग्वैदिक काल से चली आ रही है.

चैती छठ पूजा 2025 की प्रमुख तिथियां

  • 01 अप्रैल 2025, मंगलवार – नहाय-खाय
  • 02 अप्रैल 2025, बुधवार – खरना
  • 03 अप्रैल 2025, गुरुवार – डूबते सूर्य का अर्घ्य
  • 04 अप्रैल 2025, शुक्रवार – उगते सूर्य का अर्घ्य

चैती छठ पूजा पर अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त

  • सूर्यास्त का समय (संध्या अर्घ्य): – 03 अप्रैल, 06:40 संध्या
  • सूर्योदय का समय (उषा अर्घ्य) – 04अप्रैल, 06:08 मिनट प्रात:

छठ पूजा कथा व इतिहास

इसका अत्यधिक महत्व है. इस दिन छठी माता की आराधना की जाती है, और छठी माता बच्चों की सुरक्षा करती हैं. इसे संतान प्राप्ति की इच्छा से मनाया जाता है. इसके पीछे एक पौराणिक कथा है:

चैती छठ 2025 का पावन पर्व इस दिन से शुरू

बहुत समय पहले एक राजा और रानी थे, जिनके पास कोई संतान नहीं थी. राजा इस बात से बहुत दुखी थे. एक दिन महर्षि कश्यप उनके राज्य में आए. राजा ने उनकी सेवा की, और महर्षि ने उन्हें आशीर्वाद दिया, जिसके फलस्वरूप रानी गर्भवती हो गई. लेकिन दुर्भाग्यवश, उनकी संतान मृत पैदा हुई, जिससे राजा और रानी अत्यंत दुखी हो गए और उन्होंने आत्महत्या करने का निर्णय लिया. जब वे दोनों नदी में कूदने वाले थे, तभी छठी माता ने उन्हें दर्शन दिए और कहा कि यदि आप मेरी पूजा करेंगे, तो आपको अवश्य संतान प्राप्त होगी. राजा और रानी ने विधिपूर्वक छठी माता की पूजा की और उन्हें एक स्वस्थ संतान की प्राप्ति हुई. तभी से कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह पूजा की जाने लगी.

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