चैत्र पूर्णिमा कब, यहां से जानें तारीख, मुहूर्त और चंद्रोदय का समय

Chaitra Purnima 2025: हिंदू धर्म में पूर्णिमा की तिथि को विशेष रूप से शुभ माना जाता है. इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान और दान करने से पुण्य के फल प्राप्त होते हैं. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा वर्ष की पहली पूर्णिमा होती है.

By Shaurya Punj | April 7, 2025 8:47 AM
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Chaitra Purnima 2025: चैत्र पूर्णिमा का व्रत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्व होता है. चैत्र पूर्णिमा के अवसर पर भगवान राम के भक्त हनुमान जी का जन्म हुआ था, इसलिए हर वर्ष इस दिन हनुमान जयंती का आयोजन किया जाता है. इस दिन व्रत रखने वाले लोग चंद्रमा, सत्यनारायण भगवान और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं.

चैत्र पूर्णिमा 2025 की तिथि और स्नान-दान का मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 12 अप्रैल को प्रातः 3 बजकर 21 मिनट पर प्रारंभ होगी और यह 13 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 51 मिनट पर समाप्त होगी. इस प्रकार, चैत्र पूर्णिमा 12 अप्रैल 2025 को मनाई जाएगी. इस दिन स्नान-दान के लिए ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 29 मिनट से 5 बजकर 14 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा, अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 56 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. ये दोनों मुहूर्त स्नान-दान के लिए अत्यंत शुभ माने जाएंगे.

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चैत्र पूर्णिमा पर चांद कब दिखाई देगा?

12 अप्रैल को चैत्र पूर्णिमा के दिन चांद का उदय शाम 6 बजकर 18 मिनट पर होगा. उसी दिन चंद्रास्त 13 अप्रैल को सुबह 5:53 बजे होगा. रात में चांद के दर्शन के समय अर्घ्य अर्पित करें. इसके बाद पूर्णिमा व्रत का पारण किया जा सकता है.

चैत्र पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

चैत्र पूर्णिमा के अवसर पर हनुमान जयंती का उत्सव मनाया जाता है, जो भगवान हनुमान के जन्मदिन के रूप में जाना जाता है. इस दिन भक्तजन बजरंग बली की पूजा करते हैं और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं. हनुमान जी को शक्ति, भक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है, और उनकी आराधना से भक्तों को बल, बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है.

इसके अतिरिक्त, इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है. मान्यता है कि चैत्र पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है. विशेष रूप से गंगा, यमुना, सरस्वती आदि नदियों के किनारे भक्तजन स्नान कर दान-पुण्य करते हैं.

सांस्कृतिक महत्व

चैत्र पूर्णिमा के अवसर पर विभिन्न स्थानों पर मेलों और सांस्कृतिक आयोजनों का आयोजन किया जाता है. श्रद्धालु एकत्र होकर हनुमान जी की झांकियां प्रस्तुत करते हैं और उनकी महिमा का गुणगान करते हैं. यह पर्व समाज में एकता और भाईचारे का संदेश फैलाता है.

चैत्र पूर्णिमा की पूजा की विधि

  • स्नान और संकल्प: प्रातः सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी में या अपने घर पर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें.
  • हनुमान जी की पूजा: हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीप जलाएं, लाल फूल, चोला, सिंदूर, और गुड़-चने का भोग अर्पित करें. हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करें.
  • दान-पुण्य: जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और धन का दान करें. गायों को चारा देना और पक्षियों को भोजन कराना भी शुभ माना जाता है.
  • सत्संग और भजन-कीर्तन: इस दिन हनुमान जी के भजन-कीर्तन और सत्संग में भाग लें, जिससे मन को शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है.
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