Chaturmas 2025: कब से शुरू होगा विष्णुजी का विश्राम काल, जानें इसका धार्मिक महत्व

Chaturmas 2025: चातुर्मास की शुरुआत 6 जुलाई से हो रही है, जब भगवान विष्णु क्षीर सागर में योगनिद्रा में प्रवेश करेंगे. यह चार महीने का पवित्र काल धार्मिक अनुशासन, साधना और सेवा का प्रतीक है. जानिए चातुर्मास का आध्यात्मिक महत्व, क्या करें इस दौरान और किन कार्यों से बचना चाहिए.

By Shaurya Punj | June 20, 2025 11:12 AM
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Chaturmas 2025: हिंदू धर्म में चातुर्मास को अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक अवधि माना गया है. यह वह समय होता है जब भगवान विष्णु क्षीर सागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं और देवी लक्ष्मी समेत अन्य देवता भी विश्राम करते हैं. इस दौरान कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, सगाई, गृह प्रवेश या मुंडन आदि नहीं किए जाते.

हर साल की तरह Chaturmas 2025 की शुरुआत 6 जुलाई 2025 (आषाढ़ शुक्ल एकादशी) से हो रही है और इसका समापन 1 नवंबर 2025 (देवउठनी एकादशी) को होगा. यह समय भक्तों के लिए आध्यात्मिक साधना, उपवास, सेवा और आत्मचिंतन का श्रेष्ठ अवसर होता है.

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Chaturmas 2025 में कौन-कौन से महीने आते हैं?

‘चातुर्मास’ का शाब्दिक अर्थ है—चार महीने. यह अवधि हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक मास को समर्पित होती है. इस काल में जप, तप, पूजा-पाठ, सेवा और संयम का विशेष महत्व होता है.

Chaturmas 2025 में बनेंगे विशेष शुभ योग

  • हालांकि चातुर्मास में कोई मांगलिक कार्य नहीं किए जाते, फिर भी इस बार कई खास शुभ योग बन रहे हैं:
  • सर्वार्थ सिद्धि योग – हर कार्य में सफलता पाने का उत्तम समय
  • अमृत योग – विशेष रूप से दान और भक्ति के लिए श्रेष्ठ
  • चतुग्रही योग – जब सूर्य, बुध, गुरु और चंद्रमा एक साथ मिथुन राशि में होंगे
  • इन योगों के दौरान भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, शिव-पार्वती की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है.

Chaturmas में क्यों नहीं होते शुभ कार्य?

धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस समय भगवान विष्णु योगनिद्रा में होते हैं. उनके आशीर्वाद के बिना किसी भी मांगलिक कार्य को संपन्न करना उचित नहीं माना जाता. यही कारण है कि विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य इस अवधि में वर्जित होते हैं.

चातुर्मास में क्या करना चाहिए?

  • चातुर्मास आत्मचिंतन और ईश्वर से जुड़ने का विशेष समय होता है. इस दौरान निम्न कार्य करें:
  • उपवास और व्रत का पालन करें
  • भजन-कीर्तन, मंत्र जाप और ध्यान करें
  • धार्मिक और आध्यात्मिक ग्रंथों का अध्ययन करें
  • जरूरतमंदों की सेवा करें और दान-पुण्य करें
  • मांसाहार, लहसुन-प्याज जैसे तामसिक भोजन से परहेज करें
  • बुरी आदतों को त्यागें और मन को शुद्ध रखें
  • ध्यान रखें: चातुर्मास का पालन केवल परंपरा नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और मन की स्थिरता के लिए किया जाता है.

और जानकारी के लिए करें संपर्क

अगर आप चातुर्मास, जन्मकुंडली, वास्तु दोष, रत्न या व्रत-त्योहार से जुड़ी किसी भी जानकारी के इच्छुक हैं, तो संपर्क करें:

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष, वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594 / 9545290847

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