Forbidden foods at night: हिंदू धर्म में भोजन को केवल शरीर की आवश्यकता नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और मन की स्थिरता का साधन माना गया है. यही वजह है कि हमारे शास्त्रों में भोजन को लेकर अनेक नियम और परंपराएं बताई गई हैं. विशेष रूप से रात के भोजन को लेकर कुछ खास सावधानियां अपनाने की सलाह दी जाती है, जिनके पीछे धार्मिक, आयुर्वेदिक और सामाजिक कारण जुड़े हैं.
धार्मिक दृष्टिकोण से रात का भोजन
शास्त्रों में दिन को “देव काल” और रात को “पितृ काल” माना गया है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, रात में भारी, तामसिक या अपवित्र भोजन करना न केवल शरीर को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा को भी प्रभावित करता है. इसलिए रात में सात्विक, हल्का और सीमित मात्रा में भोजन करना शुभ माना गया है.
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रात में इन चीजों से करें परहेज
- दही: आयुर्वेद के अनुसार, रात में दही खाना पाचन के लिए भारी होता है और यह कफ को बढ़ाता है. धार्मिक रूप से भी इसे वर्जित माना गया है.
- चावल: चावल ठंडा और कफवर्धक होता है. रात को इसका सेवन आलस्य और पाचन संबंधित समस्याएं बढ़ा सकता है.
- मांसाहार: मांस, मछली जैसे तामसिक पदार्थ मन को अस्थिर और चंचल बनाते हैं. साधना और ध्यान में बाधा उत्पन्न होती है.
- तली-भुनी चीजें: यह पाचन अग्नि को धीमा करती हैं, जिससे शरीर भारी और सुस्त महसूस करता है.
आध्यात्मिक कारण भी हैं महत्वपूर्ण
रात्रि का समय आत्मनिरीक्षण, ध्यान और विश्राम का होता है. यदि इस समय तामसिक या भारी भोजन किया जाए, तो न केवल नींद प्रभावित होती है, बल्कि मानसिक बेचैनी भी बढ़ती है. साधना करने वालों के लिए यह विशेष रूप से अवांछनीय माना गया है.
रात को हल्का और सात्विक भोजन करना न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, बल्कि यह धर्म, योग और साधना के मार्ग पर भी सहायक होता है. हमारे ऋषि-मुनियों ने इन नियमों की स्थापना शरीर, मन और आत्मा — तीनों के संतुलन को बनाए रखने के लिए की थी. आधुनिक जीवनशैली में भी इन बातों को अपनाना उपयोगी सिद्ध हो सकता है.