गणेश जी की आरती का मतलब
• जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा. माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
गणेश जी की जय हो, माता पार्वती और पिता शिवजी की संतान की जय हो.
• एकदंत दयावंत, चार भुजाधारी. माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
एक दांत वाले, दयालु, चार भुजाओं वाले गणेश जी के माथे पर सिंदूर सुशोभित होता है और वे मूषक पर सवारी करते हैं.
• अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया. बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
गणेश जी अंधों को दृष्टि प्रदान करते हैं, कोढ़ियों को स्वस्थ शरीर देते हैं, निःसंतान महिलाओं को संतान सुख देते हैं और निर्धनों को धन देते हैं.
• हार चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा. लड्डुओं का भोग लगे, संत करें सेवा॥
गणेश जी को हार, फूल और मेवा चढ़ाए जाते हैं. लड्डुओं का भोग लगता है और संतजन उनकी सेवा करते हैं.
• दीनन की लाज रखो, शंभु सुतवारी. कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥
हे शंभु के पुत्र, दीन-हीन की लाज रखो. हमारी सभी इच्छाएं पूर्ण करो, हम आपके बलिहारी जाते हैं.
Also Read: Budhwar ke Upay: गणेश जी की कृपा पाने के लिए श्रेष्ठ है बुधवार का दिन, इन उपायों से बनी रहेगी गणपति बप्पा की अनुकंपा
गणेश जी की आरती करते समय इन बातों का रखें ख्याल
भगवान गणेश जी की इस आरती में गणेश जी के विभिन्न रूपों, गुणों और उनकी कृपा का गुणगान किया जाता है, जो भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है. गणेश जी की आरती करने के लिए आपको एक थाली की आवश्यकता होगी, जिस पर जलता हुआ दीपक या कपूर हो. आप भगवान गणेश को फूल, धूप और मिठाई भी चढ़ा कर आरती शुरू करने के लिए भगवान गणेश की मूर्ति के सामने खड़े हो जाएं और अपने हाथ से थाली पकड़कर आरती करें.