Ganga Dussehra 2025: इस दिन है गंगा दशहरा, रात के समय जरूर करें ये उपाय

Ganga Dussehra 2025 : जब व्यक्ति अपने पापों से मुक्ति पाने और जीवन को पवित्र बनाने का प्रयास करता है. इन रात्रीकालीन उपायों को श्रद्धा से करने पर जीवन में चमत्कारिक बदलाव संभव है.

By Ashi Goyal | May 31, 2025 10:00 PM
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Ganga Dussehra 2025 : हिंदू धर्म में गंगा दशहरा का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है. यह पर्व हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. मान्यता है कि इसी दिन मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं. गंगा को पापों का नाश करने वाली, मोक्ष प्रदान करने वाली और समस्त रोग-दोषों को हरने वाली देवी माना गया है. वर्ष 2025 में गंगा दशहरा , 5 जून, बुधवार को मनाया जाएगा. इस दिन स्नान, दान और विशेष उपाय करने से जीवन के सारे संकट दूर होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है. विशेष रूप से रात्रि के समय कुछ धार्मिक उपाय करके व्यक्ति अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में मोड़ सकता है. आइए जानते हैं ऐसे पवित्र उपाय:-

– गंगा जल से दीपक जलाएं

रात्रि के समय तुलसी के पौधे के पास गंगाजल में शुद्ध घी मिलाकर दीपक जलाएं. ऐसा करने से घर में नेगेटिव एनर्जी समाप्त होती है और लक्ष्मी कृपा बनी रहती है. यह उपाय घर के वातावरण को पवित्र करता है और सुख-शांति लाता है.

– गंगा जल से घर का शुद्धिकरण करें

गंगा दशहरा की रात को पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें. विशेषकर घर के मुख्य द्वार, पूजा स्थल और रसोईघर में यह कार्य करें. इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है और दरिद्रता तथा क्लेश दूर होता है.

– गंगा स्तोत्र या गंगा आरती का पाठ करें

रात को सोने से पहले “श्री गंगा स्तोत्र” या “गंगा आरती” का पाठ करें. यह पाठ मानसिक शांति देता है और जीवन में चल रही बाधाओं को दूर करता है. साथ ही मां गंगा की कृपा से व्यक्ति को आत्मिक बल मिलता है.

– किसी पवित्र नदी या गंगा में दीपदान करें

यदि संभव हो तो गंगा तट पर जाकर या किसी पवित्र जल स्रोत में दीपदान करें. दीपक में तिल का तेल या घी भरकर उसमें रुई की बाती जलाएं और मां गंगा से अपने पापों की क्षमा मांगें. इससे जीवन की अनेक समस्याएं समाप्त होती हैं.

– पितरों के लिए तर्पण करें

गंगा दशहरा की रात्रि में पवित्र भाव से पितरों के लिए जल में तर्पण करें. यह उपाय पितृ दोष को शांत करता है और परिवार में सुख-शांति और उन्नति प्रदान करता है. गंगा जल में तिल और कुश डालकर श्रद्धा पूर्वक यह कार्य करें.

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गंगा दशहरा का पर्व न केवल मां गंगा के अवतरण की स्मृति है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक अवसर भी है, जब व्यक्ति अपने पापों से मुक्ति पाने और जीवन को पवित्र बनाने का प्रयास करता है. इन रात्रीकालीन उपायों को श्रद्धा से करने पर जीवन में चमत्कारिक बदलाव संभव है.

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