Garud Puran : गरुड़ पुराण हिन्दू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक है, जिसे भगवान विष्णु ने अपने वाहन गरुड़ को सुनाया था. इसमें धर्म, अधर्म, पुण्य, पाप, मृत्यु के बाद की यात्रा, यमलोक की व्यवस्था, कर्म और उनके फल का विशद वर्णन है. स्त्री, पुरुष और ब्राह्मणों के विशेष कर्तव्यों का भी इसमें उल्लेख है:-
– स्त्री का धर्म और फल
गरुड़ पुराण में कहा गया है कि स्त्री का परम धर्म पतिव्रता धर्म का पालन करना है. जो स्त्री अपने पति की सेवा करती है, व्रत-उपवास करती है, घर का संचालन धर्मपूर्वक करती है, वह मृत्यु के उपरांत स्वर्ग को प्राप्त करती है. ऐसी स्त्रियां पुनर्जन्म में उच्च कुल में जन्म लेती हैं. इसके विपरीत, जो स्त्रियां पति की अवहेलना करती हैं, चरित्रहीन होती हैं, उन्हें नरक का कष्ट भोगना पड़ता है.
– पुरुष का कर्म और उसका फल
पुरुष के लिए गरुड़ पुराण में स्पष्ट कहा गया है कि वह अपने जीवन में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की साधना करे. जो पुरुष सत्य बोलता है, ब्राह्मणों का सम्मान करता है, दान देता है और पवित्र जीवन जीता है, उसे मृत्यु के बाद विष्णुलोक प्राप्त होता है. जो व्यक्ति अधर्म करता है, स्त्रियों का अपमान करता है, पापाचार में लिप्त होता है, वह यमलोक में भयंकर यातनाएं पाता है.
– ब्राह्मण का विशेष कर्तव्य
ब्राह्मणों के लिए गरुड़ पुराण में कहा गया है कि वे वेद-अध्ययन करें, यज्ञ-हवन करें, समाज को धर्म का ज्ञान दें और संयमित जीवन जिएं. जो ब्राह्मण अपने धर्म से भ्रष्ट हो जाते हैं, लोभवश झूठ बोलते हैं या अधार्मिक कार्य करते हैं, वे स्वर्ग से वंचित होकर अनेक जन्मों तक कष्ट भोगते हैं. सच्चे ब्राह्मण को ईश्वर का साक्षात रूप कहा गया है.
– पाप और पुण्य का लेखा-जोखा
गरुड़ पुराण में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि हर जीव के कर्मों का लेखा यमराज के दूत चित्रगुप्त रखते हैं. स्त्री, पुरुष, ब्राह्मण – कोई भी क्यों न हो, उसके हर छोटे-बड़े पाप-पुण्य का लेखा रखा जाता है. पुण्य से स्वर्ग, पाप से नरक प्राप्त होता है.
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गरुड़ पुराण यह सिखाता है कि जीवन में सभी को अपने वर्ण और आश्रम के अनुसार धर्म का पालन करना चाहिए. स्त्री को पतिव्रता, पुरुष को धर्मपरायण, और ब्राह्मण को ज्ञान और संयम का मार्ग अपनाना चाहिए. यह ग्रंथ मृत्यु के बाद की यात्रा को भी दर्शाता है, जिससे मनुष्य को जीवन में सच्चा मार्गदर्शन मिलता है.