Hariyali Teej 2025: हरियाली तीज पर हरे रंग की साड़ी और लाल आलता, जानें क्या है परंपरा
Hariyali Teej 2025: हरियाली तीज 2025 का पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए सौभाग्य और प्रेम का प्रतीक है. इस दिन हरी साड़ी और लाल आलता पहनने की परंपरा विशेष महत्व रखती है. ये रंग केवल श्रृंगार नहीं, बल्कि देवी पार्वती की भक्ति, प्रकृति की उर्वरता और सौभाग्य का प्रतीक भी माने जाते हैं.
By Shaurya Punj | July 24, 2025 12:07 PM
Hariyali Teej 2025: हरियाली तीज श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व है, जो विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत पूज्य और मंगलकारी माना जाता है. यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन की स्मृति में मनाया जाता है. हरियाली तीज इस साल 2025 में 27 जुलाई, रविवार को मनाई जाएगी. इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं, पारंपरिक सोलह श्रृंगार करती हैं, भक्ति गीत गाती हैं, झूला झूलती हैं और शिव-पार्वती की पूजा कर अखंड सौभाग्य की प्रार्थना करती हैं.
इस अवसर पर हरे वस्त्र पहनना और पैरों में आलता लगाना एक विशेष परंपरा है, जो केवल सौंदर्य के लिए नहीं, बल्कि इसके पीछे गहन धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाएं भी जुड़ी हैं.
हरा रंग जीवन, उर्वरता, ताजगी और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. श्रावण में जब प्रकृति हरे रंग से ढक जाती है, तब यह रंग स्त्रियों के श्रृंगार में विशेष स्थान पाता है. साथ ही यह सौभाग्य, प्रेम और संतुलन का भी प्रतीक है. मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती ने शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया और शिव से उनका मिलन इसी तिथि को हुआ. तभी से महिलाएं इस दिन हरे वस्त्र पहनकर माता की भक्ति करती हैं.
आलता लगाने की मान्यता
पैरों में लगाया जाने वाला लाल आलता स्त्री के सौंदर्य और मंगल का प्रतीक है. यह देवी शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है और स्त्री के पवित्र पदचिन्हों से घर में सुख-समृद्धि आती है. धार्मिक दृष्टि से यह स्त्री को देवी का रूप मानकर उसके चरणों की पूजा के भाव को दर्शाता है.
इस तरह हरियाली तीज पर हरा रंग और आलता केवल पारंपरिक श्रृंगार नहीं, बल्कि स्त्री की आस्था, श्रद्धा और शक्ति का प्रतीक भी हैं.