– माता पार्वती का आदर्श तप और संकल्प
हरतालिका तीज व्रत का संबंध माता पार्वती के उस कठिन तप से है जो उन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए किया था. उन्होंने कई वर्षों तक निर्जल रहकर घोर तपस्या की थी. अंततः उनके दृढ़ संकल्प और भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया. सुहागिन महिलाएं इस व्रत को कर, माता पार्वती की तरह अपने पति के साथ अटूट प्रेम और समर्पण की भावना को जीवन में उतारती हैं.
– पति की दीर्घायु और सुरक्षा के लिए संकल्प
हरतालिका तीज व्रत का मूल उद्देश्य अपने पति की लंबी उम्र, आरोग्य और सुरक्षा की कामना करना होता है. महिलाएं दिनभर निर्जल रहकर उपवास करती हैं और रात्रि में जागरण कर शिव-पार्वती की पूजा करती है. यह व्रत स्त्री के सच्चे प्रेम, त्याग और तप का प्रतीक बनता है.
– वैवाहिक जीवन में सुख-शांति का प्रतीक
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को श्रद्धा और विधिपूर्वक करने से दांपत्य जीवन में प्रेम, समझदारी और सामंजस्य बढ़ता है. शिव-पार्वती का दिव्य विवाह एक आदर्श वैवाहिक जीवन का प्रतीक है, जिससे प्रेरणा लेकर महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन को सफल बनाने की कामना करती हैं.
– कन्याओं के लिए उत्तम वर की प्राप्ति का अवसर
हरतालिका तीज न केवल विवाहित बल्कि कन्याओं के लिए भी फलदायी माना गया है। जो कन्याएं इस व्रत को पूरी श्रद्धा से करती हैं, उन्हें शिव जैसा आदर्श पति प्राप्त होता है. माता पार्वती स्वयं कन्याओं की आराध्य मानी जाती हैं और उनका आशीर्वाद विवाह में सौभाग्य लेकर आता है.
– आध्यात्मिक शुद्धि और आत्मबल की प्राप्ति
यह व्रत केवल सांसारिक सुखों की प्राप्ति के लिए नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, संयम और संकल्प की परीक्षा भी है. बिना जल ग्रहण किए पूरे दिन तपस्विनी की भांति पूजा करना स्त्री को मानसिक, आध्यात्मिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाता है. यह व्रत महिलाओं को आंतरिक शक्ति और श्रद्धा का अनुभव कराता है.
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हरतालिका तीज व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए एक आध्यात्मिक तपस्या का अवसर है, जिसमें वे माता पार्वती के आदर्शों को अपनाकर अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाती हैं. यह व्रत स्त्री की श्रद्धा, भक्ति और समर्पण का प्रतीक है. 2025 में हरतालिका तीज को पूर्ण विधि-विधान से मनाकर महिलाएं शिव-पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त कर सकती हैं और अपने जीवन में सौभाग्य, प्रेम व सुख-शांति ला सकती हैं.