Hartalika Teej Vrat 2025 : हरतालिका तीज का पर्व महिलाओं के लिए विशेष धार्मिक महत्व रखता है. यह व्रत माता पार्वती द्वारा भगवान शिव को प्राप्त करने के तप का प्रतीक है. इसे विशेष रूप से विवाहित और अविवाहित महिलाएं करती हैं ताकि उन्हें उत्तम पति, सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति हो. आइए जानें हरतालिका तीज व्रत की पूजा विधि और धार्मिक नियम, पांच प्रमुख बिंदुओं में:-
– व्रत की शुरुआत
- व्रत रखने वाली महिला को सूर्योदय से पूर्व स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करने चाहिए.
- इसके बाद पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें और माता पार्वती व भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें.
- हाथ में जल लेकर संकल्प लें: “मैं आज हरतालिका तीज व्रत को पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ करती हूं ”
– पूजा सामग्री और थाली की तैयारी
- थाली में रखें: कुमकुम, हल्दी, चावल, फल, फूल, पंचमेवा, जल का लोटा, दीपक, धूपबत्ती, मिठाई और सुहाग की सामग्री (चूड़ी, सिंदूर, मेहंदी).
- साथ ही मिट्टी से शिव-पार्वती की प्रतिमा बनाना शुभ माना जाता है. इन्हें गंगा जल से स्नान कराकर वस्त्र अर्पित करें.
– व्रत की पूजा विधि
- सर्वप्रथम भगवान गणेश की पूजा करें ताकि पूजा में कोई विघ्न न आए.
- फिर शिव-पार्वती की पूजा करें – उन्हें जल, दूध, पुष्प, बेलपत्र और भोग अर्पित करें.
- महिलाएं माता पार्वती को सोलह श्रृंगार अर्पण करती हैं.
- पूजा के बाद हरतालिका व्रत कथा का श्रवण या पाठ अवश्य करें.
– निर्जला व्रत और रात्रि जागरण का नियम
- यह व्रत निर्जला (बिना जल और अन्न के) रखा जाता है.
- रात्रि में जागरण कर भजन-कीर्तन करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है.
- रात में शिव-पार्वती विवाह की प्रतीकात्मक झांकी भी बनाई जाती है.
– व्रत पारण और धार्मिक सावधानियां
- अगले दिन सूर्योदय के बाद स्नान कर पुनः पूजा करें और पति की दीर्घायु की कामना करें.
- उसके बाद जल और फल लेकर व्रत का पारण करें.
- ध्यान रखें – व्रत के दौरान झूठ, क्रोध, निंदा और अपवित्र वस्त्रों से परहेज करें.
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हरतालिका तीज व्रत नारी शक्ति, श्रद्धा और तपस्या का प्रतीक है. यदि यह व्रत पूरी निष्ठा, विधि और नियमों से किया जाए तो माता पार्वती का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है और गृहस्थ जीवन सुखमय बनता है.
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