होलिका दहन 2025 पर सही समय और इस विधि से करें पूजा, मिलेगा विशेष लाभ

Holika Dahan 2025 shubh muhurat: धार्मिक परंपरा के अनुसार, होलिका दहन के पूजा और दान से साधक को जीवन में सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं. इस वर्ष होलिका दहन की तिथि को लेकर लोगों में कुछ भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है. ऐसे में हम आपको सही तिथि और होलिका दहन के शुभ मुहूर्त के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे.

By Shaurya Punj | March 12, 2025 10:36 AM
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Holika Dahan 2025 Shubh Muhurat: फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि के अनुसार, होलिका दहन का आयोजन किया जाता है, जिसे छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है. इसके अगले दिन रंगों की होली का उत्सव मनाया जाता है. होलिका दहन के समय भद्रा का प्रभाव होने के कारण शुभ मुहूर्त को लेकर लोगों में संदेह की स्थिति उत्पन्न हो गई है. ज्योतिषाचार्य से होलिका दहन और पूजन का शुभ मुहूर्त जानें.

होलिका दहन की तिथि और शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 13 मार्च 2025 को प्रातः 10:35 बजे से आरंभ होकर 14 मार्च 2025 को दोपहर 12:23 बजे समाप्त होगी. इस अवधि में, होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 13 मार्च की रात्रि 11:26 बजे से 12:30 बजे तक रहेगा, जो कुल 1 घंटा 4 मिनट का समय है.

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भद्रा काल का प्रभाव

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भद्रा काल में होलिका दहन करना अशुभ माना जाता है. इस वर्ष, भद्रा काल 13 मार्च को रात्रि 11:26 बजे तक रहेगा. इसलिए, होलिका दहन भद्रा काल समाप्त होने के बाद ही करना शुभ होगा.

होलिका दहन की पूजा विधि

सामग्री एकत्र करें: कच्चा सूत, अक्षत (चावल), गुड़, फूल, माला, रोली, गुलाल, हल्दी, जल से भरा लोटा, नारियल, बताशा, गेहूं की बालियां, गन्ना आदि.

  • होलिका स्थापना: एक स्वच्छ स्थान पर होलिका और प्रह्लाद की प्रतीकात्मक मूर्तियाँ स्थापित करें.
  • पूजन करें: होलिका का पूजन रोली, अक्षत, फूल, माला आदि से करें.
  • कच्चा सूत लपेटें: होलिका के चारों ओर कच्चा सूत को तीन या सात परिक्रमाओं में लपेटें.
  • अर्पण करें: नारियल, गेहूं की बालियां, गन्ना आदि को होलिका में अर्पित करें.
  • प्रार्थना करें: होलिका दहन से पूर्व प्रार्थना करें कि आपके जीवन से सभी नकारात्मकता और बाधाएँ समाप्त हों.
  • दहन करें: शुभ मुहूर्त में होलिका का दहन करें और परिक्रमा करते हुए लोकगीत गाएं.

होलिका दहन का महत्व

होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है. पौराणिक कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह अग्नि में नहीं जल सकती. उसने भक्त प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठने का प्रयास किया, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जलकर भस्म हो गई. यह घटना यह सिखाती है कि सत्य और भक्ति की शक्ति के सामने कोई भी बुराई टिक नहीं सकती.

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