कान्हा की नगरी मथुरा का छाता तहसील जहां के फालेन गांव में दशकों से एक अनोखी कृष्णकालीन प्रथा चली आ रही है. आस्था का एक ऐसा दृश्य देखने को मिलता है जो धधकती हुई आग की लपटों पर भी भारी पड़ता है. यहां होलिका दहन के समय गांव का पंडा आग की बड़ी -बड़ी लपटों के बीच से पार करते है और सुरक्षित निकल जाते है. मथुरा के फालेन गांव की होली का यह नजारा वाकई में दंग कर देने वाला है. काफी दशकों से चली आ रही परंपरा के अनुसार होलिका दहन में आग की लपटों को पार करने वाले पंडा बसंत पंचमी से ही गांव के मंदिर में जमीन पर ही सोते हैं. फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी से वह अन्न का त्याग कर आहार में केवल फल व दूध इत्यादि लेते हैं. वह दोनों वक्त मंदिर में हवन करते है. इन दिनों इस अनोखे होलिका दहन की तैयारी में पूरा गांव जुटा रहता है, जो गांव के ही प्रह्लाद मंदिर के पास में मनाया जाता है.
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