Janmashtami 2025 : मुरली मनोहर को पहनायें इन रंग की पोशाक, होगा सब मंगल ही मंगल
Janmashtami 2025 : मुरली मनोहर को उनके प्रिय रंग जैसे पीला, केसरिया या नीला वस्त्र पहनाकर पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है
By Ashi Goyal | August 2, 2025 9:43 PM
Janmashtami 2025 : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2025 का पर्व इस बार 16 अगस्त, शनिवार को श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया जाएगा. यह दिन भगवान श्रीकृष्ण के आठवें अवतार के रूप में जन्म का पर्व है. इस दिन भक्त अपने प्रिय मुरली मनोहर को झूले में बिठाकर सजाते हैं, भोग अर्पण करते हैं और उन्हें सुंदर वस्त्र पहनाते हैं. पर क्या आप जानते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण को कौन-से रंगों की पोशाक पहनाना शुभ होता है? धर्मशास्त्र और भक्तिपरंपरा के अनुसार, कुछ विशेष रंगों की पोशाक शुभता, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती हैं:-
– पीतांबर (पीला वस्त्र) – श्रीहरि का प्रिय रंग
शास्त्रों में श्रीकृष्ण को ‘पीतांबरधारी’ कहा गया है
पीला रंग बुद्धि, भक्ति और सौभाग्य का प्रतीक होता है.
इस रंग की पोशाक पहनाने से घर में सुख-शांति, ज्ञान और धन की वृद्धि होती है.
– नीला रंग
श्रीकृष्ण का वर्ण भी श्यामवर्ण माना गया है.
नीला रंग उनके करुणामयी और व्यापक स्वरूप को दर्शाता है.
इस रंग की पोशाक से आध्यात्मिक उन्नति और मन की शांति मिलती है.
– हरा रंग
हरा रंग जीवन में ताजगी, समृद्धि और संतुलन लाता है.
यदि आप जीवन में रुकावटों से मुक्ति और आर्थिक उन्नति की कामना करते हैं, तो श्रीकृष्ण को हरे रंग की पोशाक पहनाएं.
– लाल रंग
लाल रंग श्रीकृष्ण के रासरंग और प्रेममय स्वरूप से जुड़ा है.
इस रंग की पोशाक उन्हें पहनाने से दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ता है और शत्रु बाधाओं से मुक्ति मिलती है.
– केसरिया या भगवा रंग
यदि आप मन की स्थिरता, भक्ति और त्याग की भावना को जाग्रत करना चाहते हैं, तो मुरली मनोहर को केसरिया पोशाक पहनाएं.
यह रंग आत्मिक शुद्धि और तपस्वी जीवन के प्रतीक स्वरूप माना जाता है.
– रंग चुनते समय ध्यान रखें:
पोशाक शुद्ध, स्वच्छ और सुंदर हो.
वस्त्रों पर कढ़ाई या मोरपंख की सजावट शुभ मानी जाती है.
बच्चों के स्वरूप में श्रीकृष्ण को सजाते समय चंद्रकला, बांसुरी, मुकुट जरूर शामिल करें.
जन्माष्टमी 2025 पर मुरली मनोहर को शुभ रंगों की पोशाक पहनाकर केवल श्रद्धा ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा और सुख-समृद्धि को आमंत्रित किया जा सकता है. रंग केवल श्रृंगार नहीं, भावना का माध्यम हैं – जो भगवान तक सीधे पहुंचते हैं.